देश में बढ रही हिंसा पर चिंता व्यक्त हुए
रतननगर(शंकर कटारिया) भारत अहिंसा का निर्यात करने वाला देश रहा है। भारतीय संस्कृति अहिंसा प्रधान संस्कृति रही है उक्त विचार आचार्य महाप्रज्ञ अहिंसा प्रशिक्षण पुरस्कार प्राप्त अहिंसा प्रशिक्षक सतीश शांडिल्य कस्बे में प्रवास के दौरान व्यक्त कर रहे थे। अणुव्रत जीवन विज्ञान अकादमी फतेहपुर शेखावाटी के निदेशक व अहिंसा प्रशिक्षक सतीश शांडिल्य ने विरोधी हिंसा, औद्योगिक हिंसा तथा आरंभिक हिंसा की विस्तार से व्याख्या की। उन्होनें कहा कि संकल्पजा हिंसा नहीं होनी चाहिए इससे व्यक्ति को बचना चाहिए। उन्होनें देश में बढ रही हिंसा पर चिंता व्यक्त की। अहिंसा प्रशिक्षक सतीश शांडिल्य ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी अहिंसा के पुजारी थे, अहिंसा में बहुत बड़ी ताकत है अहिंसा के बल पर चम्बल घाटी के डाकू माधवसिंह ने जयप्रकाश नारायण के सामने तथा डाकू अंगुलीमाल ने महात्मा बुद्ध के सामने आत्मसमर्पण किया थ। इसी प्रकार से रत्नाकर ने महर्षि नारदमुनि के आगे आत्मसमर्पण किया और उनका हृदय परिवर्तन होने के बाद आगे जाकर वे महर्षि वाल्मिकि कहलाए। उन्होनें कहा कि शरीर के लिए योग, पेट के लिए उद्योग तथा आपस में कैसे रहे समाज के लोग इसके लिए चाहिए आपसी सहयोग अर्थात् योग, उद्योग व सहयोग जरूरी है। इस मौके पर अहिंसा कार्यदल संयोजक एवं मारूति विद्या निकेतन सीसे विद्यालय फतेहपुर के निदेशक मनोज शर्मा ने कहा कि अभाव व तनाव ही हिंसा के दो मुख्य कारण है उन्होनें अहिंसक शक्ति पर विस्तार से प्रकाश डाला। योग प्रशिक्षक शंकर कटारिया ने कहा कि इंसान को स्वस्थ रहने के लिए योग, मैडिटेशन, ध्यान, शुद्ध विचार व सात्विक आहार जरूरी है। योग प्रशिक्षक कटारिया ने कहा कि योग हमें बेहतर जीवनशैली देता है सफल जीवन जीने के लिए शरीर को सकारात्मक उर्जा व मानसिक शक्ति की जरूरत होती है जो हमें योगाभ्यास से ही मिलती है। योगाभ्यास से शारीरिक व मानसिक दोनों ही फायदे होते है यह शरीर को बाहर से मजबूत व आंतरिक शक्ति प्रदान करता है तथा इससे शरीर के सभी अंग सुचारूरूप से कार्य करते है। नियमित योगाभ्यास से हम बड़ी से बड़ी बीमारियों से शरीर की रक्षा कर सकते है। यह मोटे व्यक्ति को पतला व दुबले-पतले को मजबूत बनाता है। इस मौके पर योग प्रशिक्षक शंकर कटारिया ने अहिंसा प्रशिक्षक सतीश शांडिल्य व अहिंसा कार्यदल संयोजक मनोज शर्मा को सत् साहित्य भेंट किया।