उचित प्रशासनिक सेट अप के अभाव में
झुंझुनूं , पंचायती राज संस्थाओं के कार्यकलापों के विरुद्ध शिकायतों की बढ़ती संख्या तथा जांच के लिये उचित प्रशासनिक सेट अप के अभाव में जांच उन्ही अधिकारियों से करवाई जा रही है, जिनके विरुद्ध शंका प्रकट की गई है। गत 6 माह के दौरान जिले की ग्राम पंचायतों के सरपंच, सचिव, लिपिक, तकनीकी अधिकारियों के विरुद्ध 500 से ज्यादा शिकायतें मुख्य कार्यकारी अधिकारी के समक्ष व्यक्तिशः तथा संपर्क पोर्टल से तथा उच्च अधिकारियों के माध्यम से प्राप्त हुई। इनमे से अधिकतर के बारें में पंचायत प्रसार अधिकारियों, विकास अधिकारियों तथा सहायक अभियंता स्तर के अधिकारियों से जांच करवायी गई। ज्यादातर शिकायतें विकास कार्यों में गड़बड़ी, मनमानी, तथा पद के दुरुपयोग से संबंधित थी, जिनमे सरपंच के साथ सचिव, तथा पर्यवेक्षण के लिये जिम्मेदार अधिकारी आरोपी थे।इन्ही पर्यवेक्षण अधिकारियों द्वारा जांच करने पर अधिकतर मामलों में लीपापोती करने का प्रयास किया गया। जिले में पंचायती राज संस्थाओं के प्रभारी के रूप में सीईओ को जांच तथा कार्यवाही के सारे अधिकार होने के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में शिकायतों की जांच स्वयं द्वारा किया जाना संभव नही है। ऐसी स्थिति में मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट ने शिकायत कर्त्ताओं का ही सहारा लिया है कि वे स्वयं पंचायतों के रेकॉर्ड की प्रतियां लेकर खुद ही कामों का सत्यापन करें व सबूत इक्कठा करें, ताकि जांच में आरोपी कार्मिक की जिम्मेदारी निर्धारित की जा सके। सीईओ ने शिकायत कर्ताओ से अपेक्षा की गई है कि सूचना के अधिकार के तहत ग्राम पंचायत की रोकड़ बही, कार्यों की फाइल, माप पुस्तक, बिल वाउचर आदि की नकल प्राप्त कर स्वयं ही मोके पर हुए कामों का सत्यापन करने के उपरांत कार्य की गुणवत्ता का परीक्षण कर ले तथा गड़बड़ साबित होने पर सबूत सहित शिकायत करें, ताकि दोषी अधिकारी के विरुद्ध ठोस कार्यवाही की जा सकें।
उल्लेखनीय है कि जिले की पंचायती राज संस्थाओं के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों में से केवल 10 प्रतिशत मामलों में आरोप साबित हो पाते हैं।आरोप साबित होने पर भी कार्यवाही का प्रतिशत बहुत कम है। जाट का कहना है कि शिकायतों के संबंध में जिला स्तर पर सबूत इक्कठे किये जाकर गत तीन महीनों में 30 से ज्यादा कार्मिकों के विरुद्ध चार्जशीट जारी की गई है तथा 1करोड़ से अधिक राशि की वसूली की गई है।