सूरजगढ़, गाँधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाने को लेकर धर्मपाल गाँधी की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया। राष्ट्रीय साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया महिला इकाई की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रयागराज से रेनू मिश्रा दीपशिखा की अनुशंसा पर अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाया जा रहा है। देश और विश्व में शांति स्थापित करना संस्थान का मुख्य लक्ष्य है। भारत ने विश्व को हमेशा से शांति का मार्ग दिखाया है। महात्मा बुद्ध के सिद्धांत और महात्मा गाँधी के सत्य, अहिंसा और न्याय के रास्ते ने मानव समाज को संघर्ष की स्थिति में भी शांतिपूर्ण तरीके से कैसे अपने उद्देश्यों को पूर्ण किया जाये, यह मार्ग प्रशस्त किया है। यही शांतिपूर्ण आचरण भारतीय नीति निर्माताओं के व्यवहारों में हमेशा दृष्टिगत हुआ है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी पंचशील सिद्धांत के जरिये दुनियां को शांति का संदेश दिया था। बैठक में सभी की सहमति से योग, संगीत व प्रार्थना के जरिये दुनियां को शांति का संदेश देने का निर्णय लिया गया। योगाचार्य डॉ. प्रीतम सिंह खुगांई व अंतरराष्ट्रीय योगा खिलाड़ी सुदेश खरड़िया के नेतृत्व में आदर्श समाज समिति इंडिया के कार्यालय सूरजगढ़ में 21 सितंबर को प्रातः 9:00 बजे योग के माध्यम से दुनियां को शांति का संदेश दिया जायेगा। बैठक में पूर्व पंचायत समिति सदस्य चाँदकौर, धर्मपाल गाँधी, समाजसेवी इंद्र सिंह शिल्ला, राजेंद्र कुमार गाँधी, विकास कुमार, महेश शिल्ला भोबियां, सतीश कुमार, राजेंद्र मास्टर, रवि कुमार, सोनू कुमारी, सुनील गाँधी, किरण देवी, पिंकी नारनौलिया अंजू गाँधी आदि अन्य लोग मौजूद रहे। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने कहा- वैश्विक स्तर पर हर साल 21 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाया जाता है। दुनिया भर में युद्ध और शत्रुता कम करने के उद्देश्य और शान्ति का विस्तार करने के संकल्प के साथ सन 1981 में इसकी शुरुआत हुई थी।
शांति का अर्थ केवल हिंसा का खत्म होना नहीं है, बल्कि एक बेहतर आदर्श समाज का निर्माण भी इसका एक अहम हिस्सा है। जहां पर हर इंसान का सर्वांगीण विकास हो सके। जाति, भाषा, नस्ल, धर्म की परवाह किये बिना सबके साथ समान व्यवहार किया जाये। आज विश्व के सम्मुख प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के संकट हैं, प्रत्यक्ष संकटों में नाभिकीय खतरे, सीमा विवाद, आतंकवाद आदि प्रमुख हैं। जबकि अप्रत्यक्ष संकटों में आर्थिक असमानता, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट, नस्लवाद व मानवाधिकारों का उल्लंघन आदि शामिल हैं l द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आया। इसका मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखना है, परंतु सबसे बड़ी विडंबना यह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी वैश्विक संस्था जिसके 193 सदस्य हैं, अपने ही सदस्य राष्ट्रों के आपसी विवादों के कारण उद्देश्यों को पाने में असफल रहा है। सुरक्षा परिषद् जैसी जिम्मेदार इकाई के देशों ( चीन, अमेरिका, रूस, फ्रांस और इंग्लैंड ) ने अपने निजी स्वार्थों और प्रतिद्वंदिता के कारण वैश्विक शांति को हमेशा प्रभावित किया है। दुनियाभर में शांति का संदेश पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने कला, साहित्य, संगीत, सिनेमा और खेल जगत की प्रसिद्ध हस्तियों को शांतिदूत नियुक्त किया हुआ है। लेकिन अभी तक विश्व शांति की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गये हैं। लंबे समय से रूस- यूक्रेन युद्ध चल रहा है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ सहित किसी भी देश ने युद्ध को रोकने की पहल नहीं की है। विश्व के समस्त राष्ट्र अपनी अर्थव्यवस्था को कितना भी मजबूत कर लें परंतु अगर वे मानव विकास एवं अपने नागरिकों का कल्याण नहीं करेंगे और साथ ही साथ अपने पड़ोसी देशों के साथ संवाद, सहयोग और कूटनीति के माध्यम से अच्छे संबंध नहीं बनाएंगे तब तक वैश्विक शांति को प्राप्त करना एक चुनौती रहेगा। आओ हम सब मिलकर विश्व शांति की दिशा में कदम बढ़ायें और आदर्श समाज का निर्माण करें।
“लेकर चलें हम पैगाम शांति और भाईचारे का,
ताकि व्यर्थ ख़ून न बहे किसी वतन के रखवाले का।”