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Mustard Farming Tips : किसान सरसों की बिजाई के बाद अपनाएं ये तरीके और पाएं प्रति हेक्टेयर 25 क्विंटल तक उपज

Mustard Farming Tips: बता दे कि राजस्थान हरियाणा समेत कई राज्यों में सरसों कि बिजाई शरू हो चुकी है। ऐसे में किसान भाइयों के लिए बड़ी अच्छी खबर सामने आ रही है जिससे कुछ इंतजाम कर आप बेहतरीन पैदावार ले सकते है।

सरसों के लिए बेहतर मिटटी

जानकारी के लिए बता दे कि सरसों के अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी, समय पर बुआई, संतुलित खाद और सीमित सिंचाई से पैदावार 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिल सकती है. सही मिट्टी और तापमान के साथ की गई खेती किसानों को अच्छा मुनाफा देती है.

सरसों की खेती के लिए जरूरी तापमान

अधिक जानकारी के लिए बता दे कि सरसों के अच्छे उत्पादन के लिए 15 से 25 सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। वैसे तो इसकी खेती सभी मृदाओं में कई जा सकती है लेकिन बलुई दोमट मृदा सर्वाधिक उपयुक्त होती है।

बुआई का समय और मौसम सरसों की खेती सर्दियों में की जाती है। बुआई के समय तापमान 25-26°C और फसल बढ़ने के समय 15-25°C तापमान अच्छा रहता है। बिना सिंचाई वाले इलाकों में बुआाई अक्टूबर महीने के अंत तक कर देनी चाहिए।

बिजाई के दौरान रखें इन बातों का ध्यान

  • बीज और बुआई बीज की मात्रा 600-700 ग्राम प्रति बीघा रखिए और कतारों में करें।
  • कतार से कतार 1.5 फीट और पौधे से पौधा रखें।
  • बीज की गहराई लगभग 2 इंच से ज़्यादा गहरा न डालें

उत्पादन बढ़ाने के लिए रखें इन बातों का ध्यान

अधिक जानकारी के लिए बता दे कि सरसों का उत्पादन बढ़ाने के लिए, आखिरी जुताई से पहले 2-3 kg एजोटोबैक्टर और पी.एस.बी. कल्चर को 50 kg सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर खेत में डालें.

  • सरसों की फसल को तीन हिस्सों में सिंचाई करें.
  • पहली सिंचाई के 35-40 दिन बाद फूल आने पर करें
  • दूसरी सिंचाई के 30-35 दिन बाद फलियां बनने पर एक बार करें अगर भारी मिट्टी है तो ज़्यादा सिंचाई न करें।
  • इससे तना गलन रोग हो सकता है. वहीं असिंचित क्षेत्र में 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और सिंचित क्षेत्र 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है.

अच्छी उपज के लिए सही समय पर बुवाई, बीजोपचार, संतुलित खाद और ज़रूरी सिंचाई बहुत महत्वपूर्ण है.