बेजुबान विनायकी पर समाज चुप क्यों?
लेखक – कौशल अरोड़ा
जयपुर,[आर्टिकल] देश मे घटित होने वाली घटनाओं की छाप जन मानस के साथ उन बच्चों पर भी पढ़ती है जिन्हें शिक्षा के साथ ज्ञान की गंगा में स्नान का अवसर मिलता है। हाल ही में केरल की घटना जिसने बेजुबां विनायकी की जान ले ली। वह भी उस प्रदेश में जहाँ साक्षरता दर देश मे सबसे ज्यादा है। इसी प्रदेश को जनसंख्या घनत्व में स्नातक में सबसे ऊपर आने का भी गर्व है। इतना ही नहीं आत्म निर्भरता भी इसी राज्य में सबसे ज्यादा है। इन्हीं कुछ अनसुलझे प्रश्नों के साथ उपजी यह व्यथा। वर्ष 1971 में बनी फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ सुपर हिट फिल्म मानव और हाथी (जानवर) की दोस्ती पर आधारित थी, जिसमें हाथी की वफादारी का चित्रण था। दक्षिण भारतीय निर्माता द्वारा बनाई गई सफल हिंदी फिल्म थी, जिसके लेखक थे, सलीम-जावेद। फ़िल्म के गीत आनंद बख्शी द्वारा रचित थे, जिसमें लोकप्रिय गीत मोहम्मद रफी का ‘जब कोई जानवर इंसान को मारे, कहते हैं दुनिया में वहशी उसे सारे, इक जानवर की जान आज इंसानों ने ली है, चुप क्यों है संसार…। हाल ही 27 मई को केरल के पलक्कड़ जिले में हुई एक लोमहर्षक घटना के कारण इस फ़िल्म की याद आ रही है । भूख से व्याकुल हथिनी खाने की तलाश में गांव की तरफ आ गयी। कुछ संस्कारविहीन लोगों ने अनानास में बारूद का बम्ब उसे खिला दिये। इसे खाते ही हथिनी के मुंह में जोरदार विस्फोट हुआ। उसका जबड़ा, पेट दांत तक टूट गये। जख्म, जलन ओर दर्द से हथिनी पास की नदी में तीन दिन तक तड़पती रही। अंतत: दर्द से कराहती हथिनी के प्राण मानवतावादी समाज के क्रूर कृत्य के लिये एक तमाचा है। पोस्टमार्टम में उसके गर्भ में शिशु की जानकारी आई। यह घटना उस प्रदेश की है जहाँ वन्य जीवों को संस्कृति और परंपरा का हिस्सा माना गया है। वहां के धार्मिक उत्सव बिना हाथियों के पूरा नहीं होते ।
केरल के वन अधिकारी मोहन कृष्णन जो उसे बाहर लाने में असफल रहे ने अपनी फेसबुक पर लिखा, घायल होने के बाद हथिनी उस गांव से भागती हुई निकली । उसने किसी को चोट नहीं पहुंचायी । वह नेकदिल थी । इस घटना ने पूरे देश को उद्वेलित किया। इतना ही नही माधव सेवा समिति, राजस्थान द्वारा संचालित संस्कार केन्द्र ऊंटों की घाटी जोधपुर की बालिका नेहा प्रजापति ने इसे मूक श्रद्धांजलि हस्तनिर्मित पोस्ट से दी। जो हम सभी को उसके व्यवहार के प्रति आकर्षित करती है। हाथी गाँव विकास समिति अध्यक्ष, बल्लू खान व वन विभाग रेंजर तेजपाल जयपुर के द्वारा विनायकी के प्रति श्रदांजलि अर्पित की गई। जिसे राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से फ़ोटो सहित कवर किया। जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा ने ट्वीट किया कि निर्दोष पशुओं के खिलाफ ऐसे आपराधिक कृत्य किसी इंसान की हत्या से कम नहीं है। भारतीय संविधान अनुच्छेद 51(A) में प्रत्येक जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना नागरिक का कर्तव्य है। देश मे पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 ओर आइपीसी की धारा 428 व 429 में जानवर को यातना देना दंडनीय अपराध है । जागरूकता और सोशल मीडिया के कारण पशुओं के प्रति क्रूरता की घटनाएं छुप नहीं पाती हैं । जबकि मानव यह समझता है कि पृथ्वी पर एक मात्र अधिकार उसी का है। उसी की मर्जी से प्राणियों का जीवन निर्भर हैं। यह सोच प्रकृति और कानून, दोनों के विरुद्ध है। सर्वथा इस मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा जो राजस्थान की धरा से माधव सेवा समिति अपने बाल संस्कार केन्द्रो के माध्यम से कर रही है ।