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महान समाज सुधारक शिक्षाशास्त्री ईश्वर चंद्र विद्यासागर की जयंती मनाई

सूरजगढ़, आकाश योग केंद्र बलौदा में आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में योगाचार्य डॉ .प्रीतम सिंह खुगांई की अध्यक्षता में उन्नीसवीं शताब्दी के प्रसिद्ध दार्शनिक, शिक्षाविद् व लेखक, महान समाज सुधारक, अनुवादक, मुद्रक, प्रकाशक, उद्यमी, महिला शिक्षा के समर्थक व स्वतंत्रता सेनानी ईश्वर चंद्र विद्यासागर की जयंती मनाई। कार्यक्रम में शामिल आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी, योगाचार्य डॉ. प्रीतम सिंह खुगांई, चंद्रमुखी, रोहित सोनी, योगा खिलाड़ी सुदेश खरड़िया, संदीप कुमावत, विशाल बेरला, राकेश मास्टर, खुशी वर्मा, दिनेश आदि ने महान समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर शिक्षा व समाज सेवा के क्षेत्र में उनके द्वारा किये गये कार्यों को याद किया। सुदेश खरड़िया ने महान समाज सुधारक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने समाज में फैली व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए विधवाओं और महिलाओं की दशा सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किये। उन्होंने भारतीय समाज की समग्र स्थिति को सुधारने के लिए भी काम किया। उन्होंने समाज में फैली तमाम तरह की कुरीतियां जैसे बहुपत्नी प्रथा, सती प्रथा, और बाल विवाह के खिलाफ भी अपनी आवाज उठाई। समाज सुधार के लिए उनका योगदान सराहनीय है। एक लेखक के रूप में ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने भारत में विधवाओं की स्थिति के बारे में विस्तार से लिखा है। उन्होंने उनके सामने आने वाली कठिनाइयों का विस्तृत विवरण किया है। उन्होंने देश भर में हजारों महिलाओं के जीवन को बर्बाद करने वाले हिंदू रिवाज के बारे में लोगों को जागरूक करने का लक्ष्य रखा।

उनके लेखन ने प्रभाव डाला और समाज में विधवाओं की स्थिति को सुधारने में मदद मिली। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने ईश्वर चंद्र विद्यासागर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा- आज भारत के महान समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर की जयंती है। आज से काफी साल पहले 26 सितंबर 1820 के दिन भारतीय समाज सुधारक, महान स्वतंत्रता सेनानी, प्रोफेसर ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म बंगाल में हुआ था। पुनर्जागरण के प्रमुख स्तंभ तथा नारी शिक्षा के प्रबल समर्थक ईश्वर चंद्र विद्यासागर को समाज सुधारक, दार्शनिक, शिक्षाविद्, स्वतंत्रता सेनानी, लेखक इत्यादि अनेक रूपों में स्मरण किया जाता है। उन्होंने न केवल नारी शिक्षा के लिए व्यापक जनान्दोलन खड़ा किया बल्कि उन्हीं के अथक प्रयासों तथा दृढ़संकल्प के चलते ब्रिटिश शासनकाल में वर्ष 1856 में विधवा पुनर्विवाह कानून पारित किया गया था। उसी के बाद भारतीय समाज में विधवाओं को नए सिरे से जीवन की शुरूआत कर ससम्मान जीने का अधिकार मिला था। 1856-60 के मध्य उन्होंने 25 विधवाओं का पुनर्विवाह करवाया। उन्होंने नारी शिक्षा पर विशेष बल दिया। उनके अथक प्रयासों से ही कलकत्ता सहित पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर कई बालिका विद्यालयों की स्थापना हुई थी और उन्होंने कलकत्ता में मेट्रोपोलिटन कॉलेज की स्थापना भी की थी। ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने 7 मई 1849 को बेथ्यून स्कूल, भारत में पहले स्थायी कन्या विद्यालय की स्थापना की थी। विद्यासागर एक बुद्धिजीवी और मानवता के कट्टर समर्थक थे। उनके पास एक प्रभावशाली व्यक्तित्व था। उन्होंने जाति व धर्म से ऊपर उठकर मानवता के लिए कार्य किया। उस समय के ब्रिटिश अधिकारी भी उनका आदर करते थे। उनके समय में देश में जातिवाद व छुआछूत बहुत ज्यादा था। दलित समाज के लोगों को पढ़ने तक का अधिकार नहीं था। जब ईश्वर चंद्र विद्यासागर को कलकत्ता के संस्कृत कॉलेज का प्रधानाचार्य बनाया, तब उन्होंने कॉलेज सभी जाति के छात्रों के लिए खोल दिया। उन्हें दलितों का संरक्षक कहा जाता है। उन्होंने दलित समाज और महिलाओं के उत्थान के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गरीबों व महिलाओं को पढ़ने के लिए उनके द्वारा तकरीबन 35 स्कूल खोले गये। महिलाओं की शिक्षा के लिए कलकत्ता में उन्हीं के द्वारा प्रथम कन्या विद्यालय की स्थापना की गई। ईश्वर चंद्र विद्यासागर वास्तव में एक ऐसी महान शख्सियत थे, जिन्होंने न केवल नारी शिक्षा के लिए व्यापक जनान्दोलन खड़ा किया बल्कि अंग्रेजों को विधवा पुनर्विवाह कानून पारित कराने को भी विवश किया। ऐसे इंसानियत के देवता, महान समाज सुधारक को हम नमन करते हैं। कार्यक्रम के समापन पर योगाचार्य डॉ. प्रीतम सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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