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बीमार, लाचार टीबाबसई के अस्पताल को इलाज की दरकार

शिमला[अनिल शर्मा] राजकीय सेठ सीताराम गोयल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र टीबाबसई सरकारी उपेक्षा के चलते बदहाल हालत मे पंहुच गया है। इस अस्पताल का निर्माण 1982 मे सेठ सीताराम गोयल फाउण्डेशन ने करोडो रू की लागत से करवाया था। चिकित्सालय निर्माण के समय ट्रस्ट द्वारा भवन मे महिला पुरूष वार्ड, एक्सरे कक्ष, प्रसूता कक्ष, चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ के अलग अलग क्वाटर भी बनाये थे। चिकित्सालय मे पानी की कमी न हो इसके लिए अस्पताल परिसर मे ही एक कुआ व बडी टंकी का निर्माण करवाया था। तथा जरनेटर भी लगवाया था। तथा मरीजो को लानें ले जाने के लिए एक एम्बूलेंस भी दी थी। जिस समय इस चिकित्सालय का निर्माण किया उस समय आस पास के 25 -30 गांवों मे करीब एक लाख की विशाल आबादी वाले क्षेत्र मे ऐसा चिकित्सालय नही था जिसमे सभी प्रकार की सुविधायें हो। प्रारम्भ मे सरकार द्वारा स्टाफ भी अच्छा लगाया गया था तथा उस समय राजस्थान ही नही बसई सीमा से लगते हरियाणा के गांवो के सैकडो मरीज भी प्रतिदिन आने लगे थे। उस समय यहां पर दो चिकित्सक, मेल नर्स, महिला नर्स, वार्ड ब्वाय, स्वीपर व अन्य पूरा स्टाफ कार्यरत था। तथा सभी 24 घन्टे चिकित्सालय मे रहकर सेवा देते थे। लेकिन समय ने ऐसा पलटा खाया सरकार ने यहां मात्र एक महिला चिकित्सक लगा रखी है। तथा स्टाफ का भी पूर्ण अभाव है। भामाशाह द्वारा दी गई एम्बूलेंस का उपयोग नही करने के कारण उसे भी सीएमएचओ यहां से झुन्झुनू ले गए। इस अस्पताल मे सैकडो बैड की सुविधा के वार्ड थे। जो आज धूल फाँक रहे हैं। उनका ताला तक नही खुलता है। नर्सिग स्टाफ के क्वार्टर भी धूल फांक रहे हैं। उनमे कोई रहने वाला नही है। कुआ भी सूख गया है। इस कारण पानी का भी अभाव हो गया है। स्टाफ व विभाग की अनदेखी के कारण एक्सरे की सुविधा भी बन्द पडी है। प्रसव भी नाम मात्र के होते हें। स्टाफ न रहने के कारण मरीज भी आने बन्द हो गये हैं। जो स्टाफ कार्यरत है उनका भी व्यवहार मरीजों के साथ सही नही है। जब मरीज आता है तो चिकित्साकर्मी काटने को दौडते हें। इसकी अनेक बार उच्चाधिकारियों को शिकायत भी की है लेकिन कोई सुनने वाला नही है।

            भवन निर्माता सेठ सीताराम गोयल

जिले मे सबसे बडी बिल्डिंग व सुविधाओं वाला चिकित्सालय आज खुद चिकित्सा को तरस रहा है। इसमे स्टाफ का पूर्ण अभाव है। आस पास के अनेक नये नये चिकित्सालयो को सरकार ने आदर्श पी एच सी बना दिया लेकिन टीबाबसई के ग्रामीण व ट्रस्टी वर्ष 2000 से ही प्रयत्नशील है कि इस चिकित्सालय को कर्मोन्नत कर सीएचसी चिकित्सालय बनाया जावे। 10 सितम्बर 2014 को ग्राम टीबाबसई मे एक समारोह मे तत्कालीन चिकित्सा मंंत्री दिगम्बर सिहं पधारे थे। तथा उन्होने उस समय इस चिकित्सालय को सी एच सी मे कर्मोन्नत करने की घोषणा भी की थी। परन्तु वो घोषणा कोरी घोषणा ही रह गई। तथा वो कागजो मे ही दफन हो गई। ट्रस्टी सुरेश अग्रवाल ने बताया कि अगर राज्य सरकार इस चिकित्सालय को सी एच सी मे कर्मोन्नत करती है तो हम इसमे समस्त संसाधन उपलब्ध करवाने को तैयार हैं। तथा जो भी व्यय होगा वो ट्रस्ट वहन करने को तैयार है। ग्रामीण गोविन्दराम गुप्ता, सत्यनारायण पाण्डे, ओमप्रकाश गोयल, गंगाराम कुमावत, सांवरसिहं मीणा, सुमेर सिहं तंवर, रामसिहं शेखावत, आनन्द प्रकाश, अजय पाण्डे, हरीशरण गुप्ता, राकेश शर्मा आदि ने बताया कि सरकार व चिकित्सा विभाग की लापरवाही से अस्पताल की हालत बद से भी बदतर हो गई हे। पहले यहां पर लोग उपचार करवाने आते थे। अब यहां के लोग हरियाणा के नारनोल व जयपुर दिल्ली जाकर उपचार करवा रहे हैं। जबकि यह झुन्झुनू जिले का ही नही राजस्थान का भी सिरमौर चिकित्सालय है। चिकित्सालय मे कहने को तो सरकार ने 14 पद स्वीकृत कर रखे है। परन्तु चिकित्सा विभाग की उपेक्षा के कारण वर्तमान मे मात्र 4 कर्मचारी ही कार्यरत हैं। जिनमे एक महिला चिकित्सक, महिला नर्स, एक एएनएम व एक सुपरवाईजर बाकी सभी पद रिक्त पडे हैं। गत 3 वर्ष से लैब टेक्नीशियन का पद भी रिक्त पडा है। जिसके कारण छोटी छोटी जाँच के लिए भी हरियाणा मे जाना पडता है। जहां समय व धन की बर्बादी होती है। स्वीपर का पद भी काफी समय से रिक्त होने से चिकित्सालय परिसर मे कूडे के ढेर लगे हुये हैं।
क्या कहना है जन प्रतिनिधियों का –
सीताराम गोयल ट्रस्ट कलकता द्वारा ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध करवाने हेतु इस चिकित्सालय का निर्माण करवाया था। तथा सभी संसाधन भी उपलब्ध करवाये थे। लेकिन चिकित्सा विभाग की लापरवाही व अनदेखी के कारण आज चिकित्सालय ही सुविधाओं को तरस रहा है।
-संजय अग्रवाल, सुरेश अग्रवाल ट्रस्टी सेठ सीताराम रामनिवास गोयल कलकता
35 वर्ष पूर्व अस्पताल का निर्माण करवाकर भामाशाह गोयल ने ग्रामीणों को अच्छी चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध करवाई थी। लेकिन सार सम्भाल व सरकार की उपेक्षा के कारण आज इसकी दुर्दशा हो रही हे। तथा ग्रामीणों को चिकित्सा हेतु हरियाणा मे जाना पडता हे।
-ओमप्रकाश गोयल समाजसेवी टीबाबसई
बसई चिकित्सालय मे उस समय जब क्षेत्र मे चिकित्सालय ही नही थे। तथा उपचार हेतु दूर दूर जाना पडता था। तब एम्बूलेंस तथा एक्सरे जैसी सुविधायें उपलब्ध करवाई थी। जो आज नही हैं। एम्बूलेंस जर्जर अवस्था मे आँसू बहा रही है।
-गोविन्दराम गुप्ता समाजसेवी व कार्यकर्ता टीबाबसई

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