आम बोलचाल की भाषा में मोरिंगा को कहा जाता है सहजन
जिले में मोरिंगा के पौधों की बढ़ी मांग, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम
कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर कर रहा है मोरिंगा के पौधे तैयार
झुंझुनू, कोरोना काल में औषधीय पौधे मोरिंगा की मांग बढ़ गई है मोरिंगा के पत्ते में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर साबित होते हैं। इसीलिए शेखावाटी के लोगों के लिए कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर में यह पौधे आसानी से मिल रहे हैं विशेषज्ञयों का कहना है कि मोरिंगा में कार्बोहाइड्रेट ,प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम,आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए और बी, कॉन्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। वही डॉ दयानंद वरिष्ठ वैज्ञानिक, अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र का कहना है कि एक अध्ययन के अनुसार इसकी पत्तियों में संतरे से 7 गुना विटामिन, दूध से 3 गुना कैल्शियम, अंडे से 36 गुना मैग्नीशियम, पालक से 24 गुना आयरन, केले से 3 गुना अधिक पोटेशियम पाया जाता है। इसके फल का उपयोग सब्जी, अचार बनाने में काम में आता है । सहजन पाचन से जुड़ी समस्याओं को खत्म कर देता है। उन्होंने बताया कि सहजन के पत्ते का पाउडर कैंसर और दिल के रोगियों के लिए एक बेहतरीन दवा है यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है इसका उपयोग पेट के अल्सर के इलाज के लिए भी किया जाता है । साथ ही उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि मोरीगा औषधीय महत्व का पौधा है इसका निरंतर सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जो वर्तमान समय में कोरोना महामारी से लड़ने में अत्यंत लाभकारी है ।