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भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद व स्वतंत्रता सेनानी कमला नेहरू की पुण्यतिथि मनाई

झुंझुनू, गाँधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में देशरत्न के नाम से विख्यात प्रथम राष्ट्रपति, महान स्वतंत्रता सेनानी, संविधान सभा के अध्यक्ष, भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद व असहयोग आंदोलन और दांडी यात्रा में भाग लेने वाली महान स्वतंत्रता सेनानी कमला नेहरू की पुण्यतिथि मनाई। दोनों महान स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने कहा- स्वतंत्रता सेनानी डॉ. राजेंद्र प्रसाद व कमला नेहरू उन्हीं महान विभूतियों में शामिल हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़कर भाग लिया था और आज कांग्रेस नेता ही उन्हें भुलाने की कोशिश कर रहें हैं। कमला कौल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की पत्नी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की मां थीं। स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान उन्होंने नेहरू जी का साथ बखूबी निभाया और कई मौकों पर आन्दोलन में भाग लिया और देश की आजादी के लिए जेल गई। असहयोग आंदोलन और ऐतिहासिक दांडी यात्रा में कमला नेहरू ने बढ़ चढ़कर भाग लिया था।

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान स्वतंत्रता सेनानी थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने भारत के पहले मंत्रिमंडल में 1946 एवं 1947 मेें कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया था। सादा जीवन और उच्च विचार के प्रतीक भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपने छात्र जीवन में जिस प्रतिभा और विद्वता से अपने शिक्षकों को चकित किया, वह बेमिसाल था। एक परीक्षक को लिखना पड़ा था कि परीक्षार्थी परीक्षक से ज्यादा ज्ञानवान है। गांव की पाठशाला से लेकर कलकत्ता विश्वविद्यालय तक की अपनी शैक्षिक यात्रा में उन्होंने कई कीर्तिमान स्थापित किये। उन्होंने कॉलेजों में अंग्रेजी साहित्य और कानून के प्राध्यापक के रूप में काम किया। कलकत्ता और पटना के उच्च न्यायालयों में उन्होंने वकालत की। उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए वकालत छोड़ दी।

उन्होंने गांधी जी द्वारा संचालित चम्पारण सत्याग्रह से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उस समय से लेकर अपने जीवन की अंतिम सांस तक एक सच्चे गांधीवादी के रूप में गांधी जी के बनाए मार्ग पर चलने का प्रयास किया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान निर्माण सभा के अध्यक्ष के रूप में जिस संयम, अनुशासन और ज्ञान से संविधान के निर्माण को सहज बनाया, वह अपने आप में बेमिसाल है। अंतरिम सरकार में (जिस समय देश संकट के दौर से गुजर रहा था) केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्होंने खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। अपने जीवन के आख़िरी दिन बिताने के लिये उन्होंने पटना के निकट सदाकत आश्रम चुना। यहाँ पर 28 फ़रवरी 1963 में उनके जीवन की कहानी समाप्त हुई। यह कहानी थी श्रेष्ठ भारतीय मूल्यों और परम्परा की चट्टान सदृश्य आदर्शों की। ऐसे देशभक्त स्वतंत्रता सेनानियों को आदर्श समाज समिति इंडिया परिवार नमन करता है। इस मौके पर पूर्व पंचायत समिति सदस्य चाँदकौर, धर्मपाल गांधी, राजेंद्र कुमार सुनील गांधी, सतीश कुमार, बृजेश उर्फ बबलू, पिंकी नारनौलिया, अंजू गांधी, दिनेश, सोनू कुमारी, इशांत, माहिर आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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