झुंझुनूताजा खबर

जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर जलस्रोतों को बचाने की उठाई मांग

झुंझुनूं, शेखावाटी क्षेत्र की काटली नदी से अवैध अतिक्रमण हटाने और अवैध खनन को रोकने व नदी के मार्ग को पुनः चालू करवाने एवं झुंझुनूं जिले के पुराने ऐतिहासिक तालाब, जोहड़, बावड़ी आदि अन्य जलस्रोतों की सफाई व जीर्णोद्धार व उनके आसपास से अतिक्रमण हटाने का अभियान काजड़ा सरपंच मंजू तंवर के आह्वान पर शुरू हुआ। सरपंच मंजु तंवर ने इस अभियान की शुरुआत अपनी ग्राम पंचायत से शुरू की है। ग्राम पंचायत काजड़ा के ऐतिहासिक तालाब की मरम्मत करवा कर उसका जीर्णोद्धार किया। विकास कार्यों के साथ सरपंच मंजु तंवर स्वच्छता, पर्यावरण और जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही हैं। आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में जिला कलेक्टर रामावतार मीणा को सरपंच मंजु तंवर के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपकर शेखावाटी क्षेत्र की एकमात्र काटली नदी से अतिक्रमण हटवाने और नदी के बहाव क्षेत्र से अवैध खनन रोकने और जिले के अन्य जलस्रोतों की साफ-सफाई और ऐतिहासिक स्थलों और जलस्रोतों से अतिक्रमण हटाने की मांग करते हुए उनके संरक्षण और जीर्णोद्धार की आवाज उठाई है। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी, मनजीत सिंह तंवर, इन्द्र सिंह शिल्ला, अलका बोयल, दरिया सिंह डीके, रायसिंह शेखावत, संजय कुमार, सूर्यकांत, मनजीत कुमार, विकास, अशोक कुमार, विजेंद्र, अनिल जांगिड़, राकेश कुमार आदि अन्य लोग इस मुहिम में सरपंच मंजु तंवर के साथ हैं। जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए सरपंच मंजु तंवर ने बताया कि झुंझुनूं जिले में भू-जल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। आने वाले समय में जिले में पानी की बहुत बड़ी समस्या खड़ी होने वाली है। विश्व स्तर पर पर्यावरण को लेकर भले ही चिंता जताई जा रही हो लेकिन शेखावाटी अंचल में सदियों से जनजीवन को आबाद रखने वाली काटली नदी का गला घोंट दिया गया है। अंतिम सांस ले रही काटली नदी का वजूद मिटाने में अवैध खनन माफिया कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। काटली नदी क्षेत्र में कई स्थानों पर अवैध निर्माण कर अतिकर्मियों ने भी नदी का पानी रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसके अलावा बहुत से लोगों ने नदी की भूमि पर अवैध अतिक्रमण कर नदी का वजूद मिटाने का काम कर रहे हैं। सरकार, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को भी इसके भावी खतरनाक परिणामों की चिंता नहीं है। अवैध खनन, अतिक्रमण और बहाव क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण नदी को मृतहाल हाल में पहुंचा दिया है। नदी के सूखने से गांव व कस्बों में जलस्तर नीचे चले जाने से जलस्रोत सूखने लगे हैं। लोग पेयजल के लिए भटकने के लिए मजबूर हैं। फ्लोराइडयुक्त पानी पीना लोगों की मजबूरी बन गया है। काटली नदी में अतिदोहन का ही नतीजा की हजारों की आबादी के सामने पेयजल की समस्या उठ खड़ी हुई है। लोग एक-एक घड़ा पानी के लिए तरस गये हैं, पानी के जुगाड़ के लिए समय, श्रम और धन भी खर्च हो रहा है। शेखावाटी क्षेत्र की प्रमुख बरसाती नदी काटली इस क्षेत्र की भागीरथी है। अरावली पर्वत की श्रृंखलाओं की गोद से जन्म लेने के बाद विभिन्न गांवों से निकली नालियों छोटे-छोटे नालों व पठारों से निकली जल की कुपिकाओं को अपने आप में समाहित करती हुई, जब आगे बढ़ती थी तो किसी जमाने में काटली नदी उफनती हुई बलखाती हुई बहती थी। लेकिन आज अवैध खनन और अवैध अतिक्रमण की वजह से काटली नदी लगभग मृतप्राय: हाल में है। क्षेत्र के भविष्य के लिए काटली नदी का बहाव बहुत जरूरी है। ज्ञापन के माध्यम से पुरजोर आवाज उठाई गई है कि तुरंत प्रभाव से काटली नदी से अवैध खनन रोका जाये और अवैध अतिक्रमण हटाया जाये। इसके अलावा झुंझुनूं जिले के पुराने ऐतिहासिक तालाब, जोहड़, बावड़ी आदि अन्य जलस्रोतों की सफाई व जीर्णोद्धार और उनके आसपास से अतिक्रमण हटाया जाये। जिससे झुंझुनूं जिले का भू-जल स्तर और पर्यावरण का संतुलन बना रहे। राजकीय भूमि, सार्वजनिक संस्थाओं व जलस्रोतों बचाना हमारी जिम्मेदारी भी है और कर्तव्य भी है।

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