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महात्मा गाँधी स्कूल संविदा भर्ती में हाईकोर्ट का अहम आदेश

तीनों वर्ष अनिवार्य अंग्रेजी विषय से स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को दो सप्ताह में नियुक्ति देने का आदेश

प्रदेश के सीमावर्ती जिलों के अनेकों अभ्यर्थी थे प्रभावित

जोधपुर / झुंझुनू, सोमवार को एक अहम मामले की सुनवाई के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने स्नातक में तीनों वर्ष अनिवार्य विषय अंग्रेजी से स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है | सूरजगढ़ के ढिंगरिया निवासी नवीन स्वामी व अन्य बनाम राजस्थान सरकार मामले को निस्तारित करते हुए जस्टिस अरुण भंसाली की अदालत ने उक्त डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को वर्तमान में महात्मा गाँधी स्कूल संविदा अध्यापक भर्ती लेवल दो (अंग्रेजी) के पद हेतु पात्र मानते हुए दो सप्ताह में नियुक्ति का आदेश दिया है | याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट सुशील बिश्नोई ने कोर्ट को अवगत करवाया कि याचिकाकर्ताओं ने मुख्य विषय के रूप में तीनों वर्ष अनिवार्य रूप से अंग्रेजी विषय में स्नातक डिग्री उत्तीर्ण की है तथा अध्ययन का माध्यम भी अंग्रेजी रहा है | उक्त अंग्रेजी विषय वैकल्पिक विषय के समक्ष है तथा पूर्व में भी हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट उक्त मामले में सकारात्मक निर्णय दे चुका है | फिर भी निदेशालय ने उक्त भर्ती में याचिकाकर्ताओं को स्नातक में अनिवार्य विषय के आरोप में अपात्र करार है | कोर्ट ने निदेशालय से जवाब तलब कर मामले के तथ्यों पर गौर करने के साथ ही उक्त प्रकरण के संबंध में अपने पूर्व के निर्णय,निदेशालय द्वारा उसकी पालना के मद्देनजर अनिवार्य स्नातक डिग्रीधारी याचिकाकर्ताओं को लेवल दो अंग्रेजी विषय हेतु पात्र करार देते हुए अन्यथा पात्र पाए जाने की स्थिति में दो सप्ताह में नियुक्ति देने का आदेश दिया है | मामले में सरकार की ओर से एडवोकेट हेमंत चौधरी ने पक्ष रखा |

क्यों उभर आता है यह विवाद :

मामले के नजदीकी जानकार वेदपाल धानोठी के अनुसार राजस्थान के सीमावर्ती जिलों के अनेकों विद्यार्थी नजदीकी पंजाब,हरियाणा,दिल्ली,यूपी,एम पी,गुजरात राज्य से स्नातक स्तर की पढ़ाई करते हैं | इन राज्यों में स्नातक में भाषायी विषय अंग्रेजी,हिंदी,पंजाबी,संस्कृत,उर्दू आदि तीनों वर्ष अनिवार्य सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाए जाते हैं तथा इनके प्राप्ताँक हर वर्ष कुल प्राप्ताँक में वैकल्पिक विषय के समान जुड़ते हैं | जबकि राजस्थान में स्नातक में अनिवार्य विषय केवल एक वर्ष क्वालीफाई सब्जेक्ट में रूप में पढ़ाया जाता है और इसके प्राप्ताँक फाइनल ग्रेडिंग में नहीं जुड़ते हैं | मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पिछली भर्तियों में भी ऐसे अभ्यर्थियों को पात्र करार दे चुका है तथा निदेशालय उनको नियुक्ति भी दे चुका है | विज्ञापन शर्तों में केवल वैकल्पिक शब्द के संकुचित प्रयोग से यह समस्या हर भर्ती में उभर कर आती है | राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या सैकड़ों में है | भर्ती एजेंसी को आगामी भर्तियों में उक्त डिग्रीधारी अभ्यर्थियों के हित में अलग से स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए ताकि उक्त समस्या का स्थायी समाधान हो सके |

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