झुंझुनूताजा खबर

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती को किसान दिवस के रुप में मनाया

सामाजिक कार्यकर्ता धर्मपाल गाँधी और पहलवान वीरेंद्र शास्त्री का किया सम्मान

झुंझुनू, वीर तेजाजी विकास संस्थान सूरजगढ़ के तत्वाधान में सरती देवी शिवनारायण मान शिशु विहार सूरजगढ़ में पूर्व प्राचार्य मोतीलाल डिग्रवाल की अध्यक्षता में देश के पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह की जयंती को किसान दिवस के रुप में मनाया। कार्यक्रम का शुभारंभ चौधरी चरण सिंह के चित्र पर माल्यार्पण कर व दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष मोतीलाल डिग्रवाल, जगदेव सिंह खरड़िया, धर्मपाल गांधी, शिक्षाविद् नरेंद्र मान, रामजीलाल फोगाट, मोहनलाल मान, वीरेंद्र शास्त्री, रतन सिंह आदि वक्ताओं ने चौधरी चरण सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके राजनीतिक जीवन संघर्ष व उपलब्धियों के बारे में बताया। कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता धर्मपाल गांधी और पहलवान वीरेंद्र शास्त्री का सम्मान किया गया। सभा को संबोधित करते हुए आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा- चौधरी चरण सिंह भारत के किसान राजनेता एवं पाँचवें प्रधानमंत्री थे। उन्होंने यह पद 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक संभाला। चौधरी चरण सिंह ने अपना संपूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया। गांव, गरीब और किसान के शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले चौधरी चरण सिंह खुद को प्रधानमंत्री से ज्यादा एक किसान व सामाजिक कार्यकर्ता मानते थे। चौधरी चरण सिंह की व्यक्तिगत छवि एक ऐसे देहाती पुरुष की थी, जो सादा जीवन और उच्च विचार में विश्वास रखता था। इस कारण इनका पहनावा एक किसान की सादगी को प्रतिबिम्बित करता था। एक प्रशासक के तौर पर उन्हें बेहद सिद्धान्तवादी और अनुशासनप्रिय माना जाता था। वह सरकारी अधिकारियों की लाल फ़ीताशाही और भ्रष्टाचार के प्रबल विरोधी थे। चौधरी चरण सिंह सामाजिक न्याय के पोषक और लोक सेवा भावना से ओत-प्रोत रहे। चरण सिंह एक राजनीतिज्ञ थे और प्रत्येक राजनीतिज्ञ की यह स्वाभाविक इच्छा होती है कि वह राजनीति के शीर्ष पर पहुँचे। इसमें कुछ भी अनैतिक नहीं था। चरण सिंह अच्छे वक्ता थे और बेहतरीन सांसद भी। वह जिस कार्य को करने का मन बना लेते थे, फिर उसे पूरा करके ही रहते थे। चौधरी चरण सिंह राजनीति में स्वच्छ छवि रखने वाले इंसान थे। वह अपने समकालीन लोगों के समान गांधीवादी विचारधारा में यक़ीन रखते थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद गांधी टोपी को कई बड़े नेताओं ने त्याग दिया था लेकिन चौधरी चरण सिंह ने इसे जीवन पर्यन्त धारण किए रखा। आजादी के बाद वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत, डॉ. संपूर्णानंद, चंद्रभानु गुप्ता और सुचेता कृपलानी की सरकार में राजस्व एवं कृषि मंत्री और अन्य मंत्रालयों के मंत्री रहे। वे प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने से पहले उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे। आज देश को फिर से चौधरी चरण सिंह जैसे सिद्धांतवादी और आदर्शवादी नेता की आवश्यकता है। कार्यक्रम में पूर्व सरपंच बलवीर राव, पूर्व सरपंच राजकरण भड़िया, शिक्षाविद् सत्यवीर धतरवाल, विजय चौधरी, राधेश्याम चिरानिया, लोटिया सरपंच महावीर सिंह सिंघल, सज्जन कटारिया, ओमप्रकाश सेवदा, मोहनलाल मान, बाबूलाल मैनेजर, अर्जुन लाल दीवाच, मोतीलाल प्राचार्य, जगदेव सिंह खरड़िया, धर्मपाल गांधी, लियाकत अली, नरेंद्र मान, श्रीराम ठोलिया, रामजीलाल फोगाट, रतन सिंह खरड़िया, चांदराम सांगवान, रविंद्र महमिया आदि अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन जगदेव सिंह खरड़िया ने किया।

Related Articles

Back to top button