विश्व जनसंख्या दिवस की पूर्व दिवस पर विशेष
शिक्षा मंत्री के गृह जिले में पूरा परिवार अनपढ़
दांतारामगढ़,( लिखासिंह सैनी ) विश्व जनसंख्या दिवस प्रति वर्ष 11 जुलाई को मनाया जाता है । उपखण्ड मुख्यालय दांतारामगढ़ से दस किलोमीटर दूर पहाड़ियों के बीच बसा छोटा सा गांव गौरिया – भारिजा के मंगलाराम बावरिया ओर सामरी के ग्यारह लड़के व दस लड़कियां है । मंगलाराम की उम्र करीब पैतालिस वर्ष है । तीस वर्ष पहले उसकी शादी सामरी के साथ हुई थी । उस समय सामरी की उम्र तेरह साल थी तीस वर्षों में सामरी ने 21 बच्चों को जन्म दिया है । खेतों की रखवाली कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले मंगलाराम ने बड़े लड़के , लड़कियों की शादी भी कर दी,पौते -पोतियों को मिलाकर परिवार की संख्या ढा़ई दर्जन से ज्यादा है । शिक्षा मंत्री के गृह जिले में इस परिवार का एक भी सदस्य साक्षर नहीं है। सरकार शिक्षा पर करोड़ों रूपयों खर्च कर रही है। जगह-जगह स्कूल खोल रखे हैं। एक भी बच्चे को शिक्षा से वंचित नहीं रखने के प्रयास हो रहे हैं। प्रयास किस कदर किए जा रहे हैं, इसका अंदाज गौरिया-भारीजा के बावरिया परिवार को देख सहज लगाया जा सकता है। यहां के मंगलाराम बावरिया व उसकी पत्नी सामरी के 21 बेटे-बेटी हैं।
पोते-पोतियों की संख्या मिलाने पर परिवार में सदस्यों की संख्या ढा़ई दर्जन से अधिक है। मगर विडम्बना है कि सारे सदस्य निरक्षर हैं। शिक्षा का उजाला इस परिवार तक चार दशक में भी नहीं पहुंच पाया। परिवार का कोई भी सदस्य ना खुद कभी स्कूल गया और ना ही इन्हें कोई पढ़ाने यहां आया। मंगलाराम के बच्चों को कभी किसी ने स्कूल की राह नहीं बताई ना ही पढ़ने का जज्बा पैदा किया। यह परिवार सदस्यों की संख्या के लिहाज से संभवतया सीकर जिले का सबसे बड़ा परिवार है। इस परिवार की छः वर्ष पहले भी दांतारामगढ़ के राजेश वैष्णव ने खबर आमजन तक पहुंचाई थी, तब से अबतक इस परिवार को शिक्षा के प्रति किसी ने जागरूक नही किया । भारिजा पंचायत के जनप्रतिनिधि राजेंद्र सिंह भारिजा ने बताया की मंगलाराम बावरी का परिवार गरीब परिवार हैं। शिक्षा की कमी के कारण परिवार काफी बड़ा है। गरीबी के कारण शिक्षा की तरफ ध्यान नहीं देते हैं बच्चों को विद्यालय भेजते नहीं हैं । पहाड़ी के पास अस्थाई जगह रहते हैं उनके रहने के लिए जमीन मकान नहीं है, कहीं पर भी अस्थाई झोपड़ी, टपरी बनाकर रहते हैं। स्थिति काफी खराब है कई बार सरकार को अवगत कराया लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया ।
- क्षेत्र में शिक्षकों की कमी व सरकारी कांलेज का अभाव
दांतारामगढ़ क्षेत्र की स्कूलों में शिक्षकों की कमी है ,बड़े – बड़े नेता हुए परंतु दांतारामगढ़ क्षेत्र में सरकारी कांलेज नहीं है । शासन अच्छे शिक्षकों को क्षेत्र की स्कूलों में रखती नहीं है उनका तबादला करा देती है । गतवर्ष दांता विद्यालय में प्रधानाचार्य केशर सिंह खीचड़ का तबादला करा दिया उनका तबादला निरस्त कराने के लिए स्कूल के बच्चों कई दिनों तक आंदोलन किया परंतु कुछ नहीं हुआ। शिक्षा मंत्री के गृह जिले के दांतारामगढ़ की राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत स्कूल में दस शिक्षकों की कमी है । दांता स्कूल में कक्षा 11व 12 में 104 विद्यार्थी होने के बाद भी गणित का व्याख्याता स्वीकृत नहीं है । दांतारामगढ़ क्षेत्र में सरकारी कांलेज नही है ,जब की यहा के लोगों ने कई बार सरकार को अवगत करवा दिया परन्तु आश्वासन के अलावा कुछ नही मिला । मंगलाराम बावरिया के परिवार के अलावा भी बहुत से निर्धन, गरीब परिवार के बच्चें सरकारी कांलेज नहीं होने के कारणवंश उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते है ।