झुंझुनूलेख

महान क्रांतिकारी नेता और लोकतंत्र के प्रणेता थे पंडित जवाहरलाल नेहरू

14 नवंबर/ बाल दिवस/ जयंती विशेष

लेखक – धर्मपाल गाँधी

झुंझुनू, आजादी की लड़ाई में सक्रिय और अग्रिम भूमिका निभाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी नेता, भारतीय लोकतंत्र के प्रणेता, संविधान व राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले बच्चों के चाचा नेहरू और देश के प्रथम प्रधानमंत्री भारत रत्न पंडित जवाहर लाल नेहरू का आज जन्मदिन है। उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू और माता स्वरूप रानी थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू एक अग्रिम स्वतंत्रता सेनानी, उत्कृष्ट लेखक, अद्भुत वक्ता, इतिहासकार, और आधुनिक भारत के निर्माता थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे और स्वतंत्रता के पूर्व और बाद की भारतीय राजनीति में केंद्रीय व्यक्तित्व थे। महात्मा गांधी के संरक्षण में वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने 1947 में भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर 1964 तक अपने निधन के समय तक उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व किया। भारत की स्वतंत्रता में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। नेहरू एक समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणतंत्र के वास्तुकार थे। वे देश से बहुत प्यार करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने संस्कृति, भाषा और धर्म में विविधतापूर्ण विशाल आबादी को एकजुट करने की कई चुनौतियों को पार किया। भारत की उनकी दृष्टि मुख्य रूप से शैक्षणिक संस्थानों, इस्पात संयंत्रों, बांधों का निर्माण, संवैधानिक संस्थानों का निर्माण व औद्योगिक इकाइयों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर केंद्रित थी। नेहरू जी ने साम्प्रदायिकता का विरोध करते हुए धर्मनिरपेक्षता पर बल दिया। उनके व्यक्तिगत प्रयास से ही भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया था। निर्विवाद रूप से पंडित जवाहरलाल नेहरू बीसवीं सदी के महान विश्व नेताओं में से एक हैं। विषम और दुरूह परिस्थितियों के समक्ष प्राप्त भारतीय लोकतंत्र, वयस्क मताधिकार, संप्रभु संसद, मुक्त प्रेस, स्वतंत्र न्यायपालिका नेहरू द्वारा भारत को दिया सबसे स्मरणीय उपहार है। उनके नेतृत्व में भारतीय राष्ट्र की संकल्पना ने साकार रूप ग्रहण किया।साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष के अप्रतिम योद्धा, गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग के अप्रतिम नायक तथा भारत को एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में वैश्विक मंच पर स्थापित करने वाले राजनीतिक शिल्पी नेहरू अपने सिद्धांतों, वैचारिकी तथा उपलब्धियों की वजह से भी जाने जाते हैं। आज़ादी की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाने के साथ-साथ भारत के नवनिर्माण करने, लोकतंत्र को स्थापित करने और उसे मज़बूत बनाने में नेहरू ने जो महती भूमिका निभाई उसके लिए आधुनिक भारत हमेशा उनका ऋणी रहेगा।जवाहरलाल नेहरू ने भारत को तत्कालीन विश्व की दो महान् शक्तियों का पिछलग्गू न बनाकर तटस्थता की नीति का पालन किया। नेहरूजी ने निर्गुटता एवं पंचशील जैसे सिद्धान्तों का पालन कर विश्व बन्धुत्व एवं विश्वशांति को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने पूंजीवाद, साम्राज्यवाद, जातिवाद एवं उपनिवेशवाद के ख़िलाफ़ जीवनपर्यन्त संघर्ष किया। अपने क़ैदी जीवन में जवाहरलाल नेहरू ने ‘डिस्कवरी ऑफ़ इण्डिया’, ‘ग्लिम्पसेज ऑफ़ वर्ल्ड हिस्ट्री’ एवं ‘मेरी कहानी’ नामक ख्यातिप्राप्त पुस्तकों की रचना भी की थी। भारत के राजनीतिक इतिहास में नेहरू जी की भूमिका अपरिहार्य है। पढ़ाई के बाद स्वदेश लौटने से लेकर मृत्युपर्यन्त नये और आधुनिक भारत का निर्माण करने में नेहरू जी की भागीदारी अतुलनीय और अविस्मररणीय है। भारत के भविष्य को लेकर उनके दूरदर्शी नजरिये ने कालान्तर में सत्ता में आने वाली हर सरकार की मदद की है। नेहरू जी ने ही सरकार और लोगों को करीब लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज के विपरीत पहले देश के नागरिक ही सबसे पहले थे और इन सब का कारण सिर्फ नेहरू जी थे।

देशभर में भारत रत्न पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन ’14 नवंबर’ बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित नेहरू बच्चों से बेहद प्यार करते थे और यही कारण था कि उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहकर बुलाया जाता था। एक बार चाचा नेहरू से मिलने एक सज्जन आये। बातचीत के दौरान उन्होंने नेहरू जी से पूछा, “पंडित जी, आप सत्तर साल के हो गये हैं, लेकिन फिर भी हमेशा बच्चों की तरह तरोताज़ा दिखते हैं, जबकि आपसे छोटा होते हुए भी मैं बूढ़ा दिखता हूँ।” नेहरू जी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “इसके तीन कारण हैं। मैं बच्चों को बहुत प्यार करता हूँ। उनके साथ खेलने की कोशिश करता हूँ, इससे मैं अपने आपको उनको जैसा ही महसूस करता हूँ। मैं प्रकृति प्रेमी हूँ, और पेड़-पौधों, पक्षी, पहाड़, नदी, झरनों, चाँद, सितारों से बहुत प्यार करता हूँ। मैं इनके साथ में जीता हूँ, जिससे यह मुझे तरोताज़ा रखते हैं। अधिकांश लोग सदैव छोटी-छोटी बातों में उलझे रहते हैं और उसके बारे में सोच-सोचकर दिमाग़ ख़राब करते हैं। मेरा नज़रिया अलग है और मुझ पर छोटी-छोटी बातों का कोई असर नहीं होता।” यह कहकर नेहरू जी बच्चों की तरह खिलखिलाकर हंस पड़े।

जवाहरलाल नेहरू बीसवीं सदी के एक महानतम व्यक्ति थे। वह एक ऐसे अद्वितीय राजनीतिज्ञ थे, जिनकी मानव-मुक्ति के प्रति सेवाएं चिरस्मरणीय रहेंगी। स्वाधीनता-संग्राम के योद्धा के रूप में वह यशस्वी थे और आधुनिक भारत के निर्माण के लिए उनका अंशदान अभूतपूर्व था। नेहरू जी ने एक बार कहा था, ‘आज के बच्चे कल के भारत का निर्माण करेंगे। हम जिस तरह से बच्चों की परवरिश करते हैं उससे भारत का भविष्य तय होता है।’ नेहरू जी ने बच्चों के लिए अनेक शिक्षण सामग्री भी लिखी। जिसमें उन्होंने बच्चों के व्यावहारिक शिक्षा दिये जाने पर जोर दिया था।
पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री होने के साथ ही आधुनिक भारत के निर्माता भी थे। देश की आजादी से लेकर आजाद भारत को समृद्ध बनाने तक में पंंडित नेहरू का अहम योगदान रहा है। आजादी से पहले पं‍डित नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। आजादी की लड़ाई के चलते उन्हें 9 बार जेल जाना पड़ा था। वहीं, भारत के आजाद होने के बाद पंडित नेहरू ने शिक्षा, सामाजिक सुधार, आर्थिक क्षेत्र, राष्ट्रीय सुरक्षा और औद्योगीकरण सहित कई क्षेत्रों में रचनात्मक कार्य किया। पंडित जवाहरलाल नेहरू अपने विचारों और अपने उल्लेखनीय कार्यों की वजह से ही महान बने। आजादी के बाद नेहरू ने देश की तस्वीर बदलने के लिए कई कड़े फैसले लिये।उनके उन फैसलों ने ही देश को आर्थिक मोर्चे पर मजबूत बनाया।पंडित जवाहर लाल नेहरू भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौर की वह शख्सियत हैं, जिनका नाम उनकी मौत के 58 साल बाद भी देश की सियासत को गरमा देता है। यह एक नाम ही नहीं वरन एक गुलाम भारत से लेकर स्वाधीन भारत, प्राचीन भारत से आधुनिक भारत के बनने की एक पूरी कहानी है। लेकिन इस कहानी में कई उतार-चढ़ाव भी आए हैं, जिनके कारण पंडित नेहरू का नाम आज भी देश की राजनीति में अमर है और सालों तक रहेगा। आजाद भारत की सरकार के मुखिया बनने के बाद से वर्तमान भारत के स्वरूप में आने तक कई आमूलचूल बदलाव हुए हैं। देश की भौगोलिक, औद्योगिक विकास, राजनीतिक स्थिरता और आंतरिक व्यवस्थाओं से संबंधित उनके कई फैसले देश के विकास में मील के पत्थर साबित हुए हैं। आज भी कायम है नेहरू जी की विदेश नीति…नेहरू जी चाहते थे कि भारत किसी भी देश के दबाव में न आए और विश्व में उसकी स्वतंत्र पहचान हो। जवाहरलाल नेहरु की विदेश नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा था उनका पंचशील का सिद्धांत जिसमें राष्ट्रीय संप्रभुता बनाए रखना और दूसरे राष्ट्र के मामलों में दखल न देने जैसे पांच महत्वपूर्ण शांति-सिद्धांत शामिल थे। नेहरू ने गुटनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया। गुटनिरपेक्षता का मतलब यह है कि भारत किसी भी गुट की नीतियों का समर्थन नहीं करेगा और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बरकरार रखेगा। नेहरू जी ने पूरी तरह से समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर 17 साल तक शासन किया। उन्होंने कभी लोगों के बीच किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया। उन्होंने हमेशा साथी मंत्रियों और विपक्षी नेताओं से इस बारे में राय ली कि भारत के लोगों का जीवन और बेहतर कैसे बनाया जा सकता है। वे जनप्रिय प्रधानमंत्री थे जो कभी नहीं चाहते थे कि भारत अपने पुराने अतीत की तरफ वापस लौटे। नेहरू जी के शासनकाल के दौरान किसी विशेष धार्मिक विचारधारा को अधिक तवज्जों देने जैसा कोई काम कभी नहीं हुआ। पंडित नेहरू के बाद भारत को नेहरू जैसा बेहतरीन नेता नहीं मिला। बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू 27 मई, 1964 को 74 साल की आयु में इस दुनियां को छोड़ गये। नेहरू जी को इतिहास में हमेशा आधुनिक भारत के सबसे आधुनिक और प्रभावशाली निर्माता के रूप में याद किया जायेगा।

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