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महिलाओं के सम्मान का दिन महिला दिवस

सूरजगढ़ [के के गाँधी ] भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को काफी महत्व दिया गया है इसलिए धर्म शास्त्रों में लिखा है यत्र नार्यस्तु पुज्यंते, रमन्ते तत्र देवता अर्थात जहां पर नारी की पुजा होती है वहां देवता निवास करते है। लेकिन आज भी पुरूष प्रधान समाज में नारी को केवल भोग्या ही माना जाता है आज भी नारी जाति पर अत्याचार होता है उनका शोषण होता है। आज भी महिलाओं के साथ दुष्कर्म होते है कन्या जन्म को पाप समझते है। दुष्कर्म व कन्या भ्रुण हत्या हमारे देश में आज भी हो रही है, सरकार दुष्कर्म व कन्या भ्रुण हत्या रोकने के लिए बहुत प्रयास कर रही है लेकिन संविधान में कठोर कानुन नही होने के चलते प्रयास इतने सफल नही हो पा रहे जितने होने चाहिए। आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरूषों से मुकाबला करती नजर आ रही है फिर भी उनको हेय नजर से देखा जाता है। कहने को तो हर साल महिला दिवस मनाया जाता है पर वो समारोह में सिमट कर रह जाता है। सही मायनों में महिला दिवस तब ही सार्थक होगा जब दुष्कर्म, कन्या भ्रुण हत्या जैसे जघन्य अपराध पर पूर्ण रूप से रोक लगेगी।

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