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शहीदी दिवस पर क्रांतिकारी राजगुरु, सुखदेव व सरदार भगत सिंह को किया नमन

स्वतंत्रता सेनानी डॉ. राम मनोहर लोहिया और शहीद हेमू कालानी की जयंती मनाई

झुंझुनू, आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में गाँधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में शहीदी दिवस मनाया। शहीदी दिवस पर देश की आजादी के लिए अल्पायु में फांसी के फंदे पर झूलने वाले महान क्रांतिकारी अमर शहीद राजगुरु, सुखदेव और सरदार भगत सिंह की शहादत को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इतिहास में आज का दिन स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के अदम्य साहस और बलिदान का दिन है। संयोगवश आज ही देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, समाजवादी नेता, प्रखर वक्ता, सामाजिक चिंतक और विचारक डॉ. राम मनोहर लोहिया व देश की आजादी के लिए अल्पायु में फांसी पर चढ़ने वाले महान क्रांतिकारी शहीद हेमू कालानी की जयंती है। स्वतंत्रता संग्राम में जान की बाजी लगाने वाले क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों की जयंती और बलिदान दिवस मनाना आदर्श समाज समिति इंडिया के लिए गौरव की बात है। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा- आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी हमारे लिए सर्वोपरि हैं। आज देश के महान क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और डॉ. राम मनोहर लोहिया व शहीद हेमू कालानी को एक साथ याद करने का दिन है। 23 मार्च को जहां भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु के शहादत का दिन है तो वहीं महान समाजवादी चिंतक स्वतंत्रता सेनानी डॉ. राम मनोहर लोहिया और महान क्रांतिकारी शहीद हेमू कालानी का जन्मदिवस है। हमारे लिए गौरव की बात है कि हम शहीदी दिवस पर स्वतंत्रता सेनानी डॉ. राम मनोहर लोहिया और शहीद हेमू कालानी की जयंती भी मना रहे हैं। हमारे देश को आजादी यूँही नसीब नहीं हुई है। भारत की स्वाधीनता की पृष्ठभूमि में कई महान क्रांतिकारियों ने अपने देश की आजादी की खातिर खून के कड़वे घूंट पीये हैं। देश की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले महान देशभक्तों की श्रेणी में शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और शहीद हेमू कालानी का नाम इतिहास में दर्ज है। डॉ. राम मनोहर लोहिया एक ऐसे चिंतक और नेता थे, जिन्होंने अपने जन्मदिन को शहादत दिवस को समर्पित कर दिया। वे कहते थे कि यह जन्मदिन से अधिक अपने महानायकों को याद करने का दिन है, जो बहुत कम उम्र में शहादत देकर समाज को एक बड़ा सपना दे गये। ऐसी शहादतें समाज में एक नई सोच और सपने देखने के नजरिये को प्रतिफलित करती हैं, उस सपने को आगे बढ़ाने का दिन है। इतनी कम उम्र में भगत सिंह जितना लिख गए और पढ़ गए वह अद्भुत है। उनकी लेखनी में समाज के हाशिए पर खड़े लोगों की झलक दिखती है। आज हमारे समाज को भगत सिंह और डॉ. राम मनोहर लोहिया के त्याग, विचार और संदेश को आत्मसात करने की जरूरत है। डॉ. लोहिया और भगत सिंह की कार्य प्रणाली, व्यक्तित्व, सोच एवं जीवन दर्शन में कई समानताएं देखने को मिलती हैं। दोनों का लक्ष्य था कि एक ऐसे समाज की स्थापना की जाये, जिसमें शोषण न हो, भेदभाव न हो, असमानता न हो, किसी प्रकार का अप्राकृतिक अथवा अमानवीय विभेद न हो। अर्थात समतामूलक समाजवादी समाज की स्थापना की जाये। पश्चिम के पूंजीवाद के कड़े आलोचक, लोहिया अपने को ऐसा क्रांतिकारी मानते थे,जिसने  मार्क्सवादी अंतर्दृष्टि और समाजवादी औजारों का इस्तेमाल सामाजिक समरसता और आत्मनिर्भरता के गांधीवादी नजरिये को प्राप्त करने के लिए किया। वे भारत की अखंडता के प्रति सजग और सतर्क थे लेकिन उन्होंने वैश्विक शांति और सहयोग की अपील भी की। वह एक ऐसा आधुनिक भारत चाहते थे जो धार्मिक अंधविश्वास और कट्टरपंथी सोच से दूर हो। आज हमें डॉ. राम मनोहर लोहिया और क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह के विचारों को ग्रहण करने की आवश्यकता है। इस मौके पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी, अमर सिंह गजराज, मुकेश कुमार, सुनील गांधी, पूजा, अंजू गांधी, दिनेश कुमार, भोलाराम मनीठिया, सरोज देवी, जमना, अमित कुमार, जितेंद्र तंवर, राम लखन, पिंटू आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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