भाजपा कर सकती है कांग्रेस के निष्कासितो पर भरोसा !
मंडावा विधायक नरेंद्र कुमार के सांसद बनते ही मंडावा में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई थी। भले ही आज तक उपचुनाव की तारीख तय नहीं हो पाई हो पर आए दिन नया घटनाक्रम सामने आ रहा है। 2013 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष चंद्रभान के चुनाव लड़ने और जमानत जप्त करवाने से मंडावा तब खूब सुर्खियों में आया था। अब मंडावा फिर से सुर्खियों में है कारण इस बार कांग्रेस ना होकर भाजपा है। भाजपा के स्वघोषित नो चेहरे हैं जो की टिकट की दावेदारी कर रहे हैं इनमें है गिरधारी खीचड़, राजेश बाबल, जाकिर झुनझुनवाला, विमला चौधरी, संजय जांगिड़, सीताराम शर्मा, बजरंग सिंह, नरेंद्र मोगा, राजेंद्र चौधरी जो इन दिनों गजब की एकता दिखा रहे हैं। कारण है भाजपा का मूड, भाजपा इन सभी को दरकिनार कर टिकट किसी कांग्रेस के बागी को दे सकती है। नहीं तो इन 9 नेताओं में ऐसी एकता किसी भी चुनाव में नहीं देखी गई। पहले तो यह नेता हम साथ साथ हैं की तर्ज पर राजेंद्र राठौड़ से मिले थे और उनसे कहा था कि हम 9 में से टिकट चाहे किसी को भी मिल जाए हम कंधे से कंधा मिलाकर चुनाव लड़ेंगे और भाजपा को विजय दिलवाएंगे पर आप टिकट पर हम में से ही किसी को दें। वहां दाल नहीं गलने पर अब यह सारे मंगलवार 10 सितंबर को पहले नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और बाद में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात कर उनसे भी यही कहा है कि टिकट हम 9 में से ही किसी को दे दी जाए। गौरतलब है कि नेताओं का मंडावा में कोई जनाधार ना देखकर और पार्टी की आंतरिक सर्वे में भी विजेता उम्मीदवारों में इनका नाम न देखकर भाजपा ने अपना मूड बदल लिया है और भाजपा हर कीमत पर किसी जिताऊ और मजबूत जनाधार वाले नेता को ही टिकट देना चाहती है। चाहे वह भाजपाई हो या कांग्रेस के बागी। अंदर खाने से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा कांग्रेस से निष्कासित जिला परिषद सदस्य प्यारेलाल ढूकिया झुंझुनू प्रधान सुशीला खेल सकती है। क्योंकि इन दोनों नेताओं का मंडावा में मजबूत जनाधार है और यह काफी समय से ही मंडावा में सक्रिय हैं। तथा यह नेता जनाधार के मामले में भी कांग्रेस के निष्कासित नेताओ के नजदीक भी नहीं है। यह नेता जल्द ही भाजपा के दिल्ली ऑफिस में भी जाकर टिकट मांग सकते हैं क्योंकि इन्हें अभी भी यही वहम है जीत या हार टिकट से होती है। अगर इनमें से किसी ने भी इतनी मेहनत और समय मंडावा में जनता के बीच लगाया होता तो टिकट इन्हीं में से किसी को मिलती और भाजपा को भी कांग्रेस के बागियों पर भरोसा नहीं करना पड़ता।