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नाबार्ड द्वारा बैंक अधिकारियों के लिए संयुक्त देयता समूहों पर जिला स्तरीय बैठक का आयोजन

संयुक्त देयता समूह वंचित वर्गों के आर्थिक सशक्तिकरण और समावेशी विकास के लिए एक प्रभावशाली माध्यम – डीडीएम एम एल मीना

सीकर, संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) के गठन एवं क्रेडिट लिंकेज को ओर अधिक बेहतर करने के उद्देश्य को ध्यान मे रखते हुये राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा सीकर में बैंक अधिकारियों के लिए एक जिला स्तरीय बैठक आयोजित की गई। सहायक महाप्रबंधक, नाबार्ड एवं डीडीएम, सीकर एम एल मीना के मुख्य आथित्य मे आयोजित इस बैठक में क्षेत्रीय प्रबंधक बीआरकेजीबी डीएस धनखड़, अग्रणी जिला प्रबंधक पंजाब नेशनल बैंक धीरज कुल्हारी, क्लस्टर प्रमुख एचडीएफसी बैंक करुण तोशनीवाल सहित जिले में कार्यरत विभिन्न वित्तीय संस्थानों के कई बैंकिंग पेशेवरों ने भाग लिया।

सहायक महाप्रबंधक, नाबार्ड एवं डीडीएम, सीकर एम एल मीना ने अपने मुख्य भाषण के दौरान कहा, “सूक्ष्म वित्त के परिपेक्ष में समूह दायित्व एक प्रमुख नवाचार के रूप में विकसित हुआ है। जब इसे एक व्यावसायिक रूप में काम लिया जाता है तो यह “सभी के लिए एक, एक के लिए सभी” दर्शन को बढ़ावा देता है।“ साथ ही, डीडीएम सीकर एम एल मीना ने आगे कहा कि इस सामूहिक दायित्व वाले पैमाने के माध्यम से भूमिहीन किसानों, बटाईदारों, किरायेदार किसानों, छोटे व सीमांत किसानों, कारीगरों, अन्य अर्ध-कुशल श्रमिकों और ग्रामीण महिलाओं आदि को बैंको से ऋण प्राप्त करने में सक्षम बनाया है, जो पहले कोलेटरल सेकुरिटी के अभाव में बैंक ऋण लेने में असमर्थ थे, लेकिन बैंको द्वारा उनके संयुक्त देयता समूहों को ऋण प्रदान करने के बाद अब सफल उद्यम चला रहे हैं। जेएलजी अपने सदस्यों के सामूहिक संसाधनों, कौशल और विश्वसनीयता को मजबूत करके वंचित वर्गों को वित्तीय प्रणाली से औपचारिक ऋण और वित्तीय सेवाओं तक पहुंचने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं।

इस अवसर पर डीडीएम सीकर एम एल मीना ने बैठक मे उपस्थित सभी बैंक अधिकरियों से कहा कि संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) विशेष रूप से ग्रामीण व अर्ध शहरी क्षेत्रों में आय सृजन गतिविधियों को शुरू करने के लिए बैंको द्वारा ऋण वितरण के लिए सबसे व्यावहारिक विकल्प हो सकता है और इस प्रकार लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।

डीडीएम सीकर एम एल मीना ने आगे कहा, “संयुक्त देयता समूह वंचित वर्गों के आर्थिक सशक्तिकरण और समावेशी विकास के लिए एक प्रभावशाली माध्यम साबित हुए हैं। इस बैठक के माध्यम से हमारा लक्ष्य जिले मे बैंकों द्वारा जेएलजी को उनके संबंधित क्षेत्रों में ऋण सुविधा उपलब्ध करवाने हेतु आवश्यक ज्ञान एवं कौशल की जानकारी प्रदान करना है। हमारा मानना है कि जेएलजी के क्रेडिट लिंकेज को मजबूत करके समावेशी विकास को बढ़ावा दिया जा सकता हैं।”

बैठक के दौरान संयुक्त देयता समूहों की अवधारणा, लाभों एवं जटिलताओं पर गहन जानकारी प्रदान की गई। साथ ही, ग्रामीण विकास के साथ-साथ वित्तीय समावेशन, जोखिम शमन और पुनर्भुगतान रणनीतियों में संयुक्त देयता समूहों की भूमिका जैसे विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की गई।

संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) क्या होता हैं –
संयुक्त देयता समूह एक ही गाँव या इलाके के समान सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के 4-10 लोगों का एक समूह है, जो बिना किसी कोलेटरल सेकुरिटी के बैंक से ऋण प्राप्त करने के उद्देश्य से एक साथ मिलकर एक समूह बनाते हैं।

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