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पशुओं का सर्दियों में आहार एवं प्रबंधन

लेखक – डॉ श्याम सुंदर सियाग (PhD पशु पोषण)

सर्दियों में पशुओं को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है| पशु आहार के साथ साथ पशु आवास प्रबंधन पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए| सर्दियों में बाहरी वातावरण का तापक्रम कम होने पर अधिक ऊर्जा का क्षय होता है, जिससे शरीर का तापक्रम बनाये रखने के लिए पशुओं में ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है| सर्दियों में पशुओं को अतिरिक्त आहार पशुओं की नस्ल, उम्र, शारीरिक अवस्था जैसे गर्भकाल, दुग्धकाल, शुष्ककाल और प्रबंधन के अनुसार ही दिया जाता है| सर्दियों में तापक्रम कम हो जाने पर पशुओं की ऊर्जा, प्रोटीन एवं अन्य पोषक तत्वों की आवश्यकता बढ़ जाती है|अत्यधिक विपरीत परिस्थितियों जैसे बर्फ़बारी, शीत हवाएं इत्यादी में तो पशुओं की ऊर्जा आवश्यकता 100 फीसदी तक बढ़ जाती है|

पशुओ को आहार की मात्रा उनके शारीरिक भार के अनुपात में दी जानी चाहिए| अथार्त 2.5-3 किलो आहार प्रति 100 किलो शरीर भार के लिए दे| सामान्यतया देशी पशु 300-350 किलो वजन के होते है| इसके हिसाब से 8-10 किलो आहार की प्रतिदिन आवश्यकता रहती है| संकर नस्ल की गायों का शारीरिक भार अधिक होता है, अतः उनके आहार की मात्रा प्रतिदिन करीब 10-12.5 किलो होती है| सर्दियों में दाना मिश्रण की अतिरिक्त मात्रा दी जानी चाहिए|

अच्छी गुणवत्ता का सूखा चारा जैसे जई ‘हे’, रिजका ‘हे’, सीवण घास ‘हे’, बाजरा कड़बी, गेंहू की तुड़ी, इत्यादि के साथ साथ उच्च पाचकता गुणांक वाले चारा पशुओ को दिया जा सकता है| ये रेशेदार चारे रूमन में किण्वन क्रिया द्वारा वाष्पशील वसा अम्ल बनाते है जो पशु की शरीर की ऊर्जा पूर्ति करते है| पशुओ को दिए गए रेशेदार आहार, दूध में वसा प्रतिशत बढ़ाने के लिए सहायक होते हैं|| पशुओं को हरा चारा भी दिया जाना चाहिए, इसके लिए फलीदार हरे चारे जैसे बरसीम, रिजका, जई और काऊपी इत्यादि को, सूखे भूसे के साथ मिलाकर खिलाया जा सकता है| पशु आहार में उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन जैसे सोयाबीन के अलावा सरसो, मूंगफली, अथवा बिनोला खल इत्यादि सम्पूरक मिलाया जाना महत्वपूर्ण हो जाता है |

दाना मिश्रण में मोटे तौर पर दानें(40%), खल(32%), चापड़(25%), खनिज लवण(2%) और नमक(1%) सम्मिलित किया जाना चाहिए| अधिक दुग्ध उत्पादन हेतु भैंस को, प्रति 2 किलो दुग्ध पर 1 किलो सांद्र आहार अतिरिक्त दिया जाना चाहिए| सर्दियों में पशु आहार में गुड़ आवश्यक रूप से मिलाया जाना चाहिए| दाना मिश्रण जैसे गेहूं का दलिया, खल, चना, ग्वार, बिनोला आदि को रात को पानी में भिगोकर रखें। सुबह ये दाना मिश्रण ताजा पानी में उबाले| अधिक दुग्ध उत्पादन वाले पशुओ को ये आहार दिन में तीन बार दिया जा सकता है| अधिक उत्पादन प्राप्त करने हेतु पशुओ को साइलेज, बाईपास फेट, बाईपास प्रोटीन दिया जा सकता है|

सर्दियों में पशुओ की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी हो जाती है, अतः उच्च केलोरिक आहार विटामिन और खनिज लवण से फोर्टीफाइड होना चाहिए| सांद्र राशन में 2% खनिज तत्व और 1% नमक मिलाना चाहिए| पशुआहार की मात्रा को धीरे धीरे ही बढ़ाया जाना चाहिए अन्यथा पशु का पाचन बिगड़ सकता है| पशुपालक ध्यान रखे कि रातभर कोहरे में रखा भीगा दाना मिश्रण अधिक ठंडा होता है, पशुआहार का तापमान अधिक कम होने पर पशुओं के बीमार हो जाने की सम्भावना बढ़ती है, अतः पशुआहार अधिक ठंडा नहीं होना चाहिए| पशुओ को अधिक दलहनी हरा चारा देने से आफरा भी आ सकता है| सर्दियों में भी पशुओं को उनकी आवश्यकता अनुसार स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध करवाना चाहिए|

पशुओ को सर्दी में ठंडी हवाओ से बचाने के लिए उन्हें टाट की बोरियां ओढ़ा दी जानी चाहिए| रात को जिस पक्के या कच्चे आवास में पशु को बांधा जाता हो उसमे सारी खिड़की और दरवाजे बंद कर, उन पर बोरी टाँग देवे, ताकि पशु शीत लहर की चपेट में न आ जाये| पशुओं का बिछावन गीला नहीं होना चाहिए और छोटे बछड़ो के लिए घास पौधों की पत्तिया इत्यादि बिछानी चाहिए|अधिक ठंड होने पर अलाव भी जलाया जा सकता है, परन्तु इसको पशुओ की पहुंच से दूर रखे| ऐसी व्यवस्था करे कि दिन में सूर्य की रौशनी आती रहे| गोबर एवं मूत्र की निकासी की अच्छी व्यवस्था करे| गर्भित पशु का विशेष ध्यान रखे और प्रसव के बाद प्रजनिका और बछड़े को ढके स्थान पर अच्छी बिछावन पर बांधे| पशुओ को नियमित रूप हर 3 माह पश्चात कृमिनाशक दवाइयां देवे | सर्दी के मौसम में नमी के कारण पशुओ को रोगो से बचाने के लिए मुँहपका-खुरपका रोग, गलघोटू, भेड़ पॉक्स रोग, पी.पी.आर, फडकिया इत्यादि रोगो के लिए टीकाकरण करवाए| पशुओं के सर्दी के कारण ठंड लगना, श्वसन रोग, निमोनिया इत्यादि रोग हो जाने पर तुरंत वेटरनरी डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए| पशुआहार के सभी संघटको को सर्वोत्तम अनुपात में मिलकर संतुलित आहार तैयार किया जाना चाहिए और इस संतुलित आहार को पशुओं को खिलाने के साथ साथ आवास प्रबंधन करके शीत आघात से बचाकर, अधिक दुग्ध उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है|

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