पशु पालन विशेष – हरे चारे का “हे” रूप में संग्रहण
राजस्थान के अधिकांश भूभाग में वार्षिक वर्षा दर बहुत कम है| ऐसे में वर्षा ऋतू के अलावा पशुओ को वर्षभर हरा चारा उपलब्ध करवाना चुनौतीपूर्ण कार्य है| स्पष्टतया पशुपालक हरे चारे की कमी से जूझ रहे है जिसके कारण पशुओ में मिनरल व विटामिन की कमी होने से पशु कमजोर और रोगग्रस्त हो जाता है |इस समस्या से बचने के लिए वर्षा ऋतू में हरे चारे और चारा फसलों की अधिकता होने पर उनका ‘हे’ के रूप में संरक्षण और संग्रहण किया जा सकता है और वर्ष भर पशुओ को खिलने में उपयोग किया जा सकता है| तूड़ी के बजाय “हे” में अधिक पोषक तत्व होते है तथा ये पशुओ को खाने में अधिक स्वादिष्ट लगता है|
‘हे’: एक परिचय
‘सूखा हरा चारा’ जिसमे शुष्क पदार्थ लगभग 85-90 {44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56},रंग हरा और पत्तियों की अधिक मात्रा हो उसे हे कहते है |’हे’ में नमी की मात्रा 12-14 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए ताकि इसको किण्वन और कवक संक्रमण से बचाया जाकर सुरक्षित भंडारित किया जा सके| ‘हे’ मुलायम स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है जिसे वर्ष भर पशु चारे के रूप में प्रयोग में लिया जा सकता है|
उच्च गुणवत्ता वाले ‘हे’ की विशेषताएं
- उच्च गुणवत्ता वाले हे का निर्माण करने के लिए हरे चारे ,घास या चारा फसल को उसकी पुष्प अवस्था में काटा जाता है जब उसमे अधिकतम पोषक तत्व उपस्थित होते है|
- उच्च गुणवत्ता वाले हे में पत्तियों की मात्रा अधिक होती है क्योकि पत्तियों में प्रोटीन , विटामिन और खनिज लवण अधिक मात्रा में होते है|
- हे का रंग हरा तथा ये मुलायम स्वादिष्ट पौष्टिक और सुपाच्चय होना चाहिए|
- हे में नमी की मात्रा 12-14 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए|
- हे में खरपतवार मिट्टी और अनावश्यक पदार्थो की मिलावट नहीं होनी चाहिए तथा भण्डारण सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए|
‘हे’ निर्माण हेतु उपयुक्त फसल चयन
‘हे’ निर्माण हेतु पतले तने की घासें और फलीदार फसलें उपयुक्त रहती है क्योकि इनको सूखने में कम समय लगता है | उदाहरणतया: दूब घास ,सेवण घास, जई ,एम.पी. चरी, रजका, बर्सीम, काऊपी इत्यादि| मोटे तने की फसलों का भी हे बनाया जा सकता है परन्तु उनको सुखाने के लिए पहले छोटे छोटे टुकड़ो में काटा जाकर रोलर के बीच कुचला जाता है|
‘हे’ के प्रकार
- फलीदार ‘हे’:- ये फलीदार पौधों से बनती है |जैसे- रजका, बर्सीम, काऊपी इत्यादि | इसमें सुपाच्चय प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, साथ ही कैरोटीन, विटामिन ‘डी’, विटामिन ‘ई’ एवं कैल्सियम पर्याप्त मात्रा में पाए जाते है |
- अफलीदार ‘हे’:- ये घासों और अनाज फसलों से बनती है |जैसे- जई और जौ इत्यादि| इसमें ऊर्जा की मात्रा अधिक होती है|
- मिश्रित ‘हे’:- ये फलीदार और अफलीदार पौधों को मिलाकर बनाई जाती है| इसका रासायनिक संघठन मिलाये गए पौधों के अनुपात पर निर्भर करता है|
‘हे’ निर्माण हेतु फसल कटाई का समय
हरे चारे या चारा फसल में जब दो तिहाई पुष्प अवस्था आ जाती है, उस समय ‘हे’ निर्माण हेतु फसल की कटाई उत्तम रहती है क्योकि इसमे अधिकतम पोषक तत्व उपस्थित होते है और उच्च गुणवत्ता वाली ‘हे’ का निर्माण होता है
‘हे’ निर्माण की विधियाँ
- खेत में सुखाकर: यह विधि तब उपयोगी है, जब साफ मौसम हो और आगामी कुछ दिनों में बारिश की संभावना नहीं हो| इस विधि में हरे चारे या चारा फसल को काटकर उसी जगह कुछ घंटे पड़ा रहने देते है, फिर जब नमी की मात्रा कम हो जाती है, तब छोटे ढीले बण्डल बनाये जाते है | अब इन बंडलों को पलट पलट कर इतना सुखाया जाता है की नमी की मात्रा 12-14 फीसदी हो जाये|
- हरे चारे को लटका कर सुखाना: साफ मौसम में हरे चारे को लटका कर सुखाया जाता है| नमी की मात्रा जल्दी कम करने हेतु निम्न तरिये अपनाये जाते है:-
- टिपोड़ पर सुखना: इस विधि में लोहे के तीन पोल होते है जिन पर चारे को सुखाया जाता है|
- प्रक्षेत्र की तारबंदी कर सुखाना: तारबंदी वाले खेतो में तारों पर ही चारे को सूखा दिया जाता है समय समय पर चारे को पलटा जाता है ताकि हवा के अधिक संचरण से चारा जल्दी सुख जाये|
- रेक्स पर सुखाना: इस विधि के अंतर्गत खेत के सबसे ऊँचे स्थान पर लोहे के सरियों का क्रॉस बनाकर उस पर चारा सुखाया जाता है|
‘हे’ निर्माण की आधुनिक विधियां: जब भी मौसम अनुकूल न हो तब हरे चारे और चारा फसलों को छोटे छोटे टुकड़ो में काटा जाता है फिर अग्रलिखित विधियों से सुखाया जाता है:-
- विधुत द्वारा सुखाना:- इस विधि में कटे हुए हरे चारे पर गर्म हवा तब तक प्रवाहित करते है जब तक कि नमी की मात्रा तक न रह जाये इसके अतिरिक्त अधिक तापमान वाले गर्म कमरे में भी हरे चारे को सुखाया जा सकता है|
- छत के नीचे सुखाना:- इस विधि में हरे चारे के छोटे छोटे टुकड़ो कीफर्श प्लास्टिक या तिरपाल पर पतली परत बनाकर सुखाया जाता है ये विधि सस्ती है परन्तु समय अधिक लगता है|
‘हे’ का संग्रहण:
‘हे’ का संग्रहण किसी ऊँचे स्थान पर पानी के भराव से दूर छयादार और सूखे स्थान पर किया जाना चाहिए| अधिक मात्रा में ‘हे’ संग्रहण हेतु मशीनों से बड़े बड़े बण्डल भी बनाये जा सकते है|’हे’ में नमी की मात्रा 12-14 फीसदी से कम रखकर इसको किण्वन और कवक संक्रमण से बचाया जा सकता है | आग से भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए| इस प्रकार ‘हे’ के रूप में मुलायम स्वादिष्ट और पौष्टिक सूखा हरा चारा पशुओ को वर्ष भर उपलब्ध करवा कर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है|