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स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त व मीरा बेन की पुण्यतिथि मनाई

आदर्श समाज समिति इंडिया के सदस्यों ने

सूरजगढ़, आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में शहीद भगत सिंह के साथी स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त व भारत की आजादी के लिए संघर्ष करने वाली महात्मा गांधी की शिष्या मीरा बेन की पुण्यतिथि मनाई। आदर्श समाज समिति इंडिया के सदस्यों ने महान स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किये और श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए देश की आजादी के लिए उनके जीवन संघर्ष को याद किया। देश के लिए फांसी पर चढ़ जाने वाले क्रांतिकारियों की लंबी लिस्ट है। लेकिन कुछ ऐसे भी स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने देश की आजादी के लिए मौत से भी भयानक कठिनाइयां झेली हैं। देश आजाद होने के बाद ऐसे क्रांतिकारियों का अस्तित्व ही खत्म हो गया। इन्हीं में से एक हैं बटुकेश्वर दत्त! वही बटुकेश्वर दत्त जो भगत सिंह के साथ केंद्रीय असेंबली में बम फेंक कर उनके साथ गिरफ्तार हुए थे। जब भगत सिंह को फांसी की सजा हुई तो उन्हें काला पानी की सजा मिली। फांसी की सजा न मिलने पर देशभक्ति की भावना से भरे बटुकेश्वर दत्त बहुत निराश हुए। उन्होंने यह बात भगतसिंह तक पहुंचाई कि वतन पर शहीद होना ज्यादा फक्र की बात है। तब भगत सिंह ने उनको यह पत्र लिखा कि वह दुनिया को यह दिखाएं की क्रांतिकारी अपने आदर्शों के लिए मर ही नहीं सकते हैं बल्कि जीवित रहकर जेलों की अंधेरी कोठरियों में हर तरह का अत्याचार भी सहन कर सकते हैं। सरदार भगत सिंह को फांसी हो गई लेकिन क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त ने देश की आजादी के लिए जेलों की काल कोठरियों में रहकर बहुत यातनायें झेली। देश आजाद होने के बाद बटुकेश्वर दत्त को जेल से रिहा कर दिया गया। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने बताया कि मीरा बेन उर्फ मैडलिन स्लेड एक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी की बेटी थी। महात्मा गांधी के व्यक्तित्व और विचारों से प्रभावित होकर वह सात समंदर पार हिंदुस्तान चली आई और फिर यहीं की होकर रह गई। मीरा बेन ने मानव विकास, गांधी जी के सिद्धांतों की उन्नति और भारत की आजादी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। भारत देश के प्रति उनका प्रेम देखकर महात्मा गांधी ने उन्हें मीरा बेन नाम दिया। उनकी बुनियादी शिक्षा, अस्पृश्यता निवारण जैसे कार्यों में गांधी के साथ मीरा बेन की अहम भूमिका रही। उन्होंने गांधीजी के बहुत से राजनैतिक व सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने गांधी जी के खादी के सिद्धांतों तथा सत्याग्रह आंदोलन को उन्नतशील बनाने के लिए देश के कई भागों में यात्रा की। उन्होंने यंग इंडिया तथा हरिजन पत्रिका में अपने हजारों लेख लिखकर योगदान दिया। मीराबेन महात्मा गांधी के नेतृत्व में लड़ी जा रही आजादी की लड़ाई में अंत तक उनकी सहयोगी रही। इस दौरान 9 अगस्त 1942 को गांधी जी के साथ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। मीरा बेन को गिरफ्तार करने के बाद 1944 तक जेल में रखा गया। लेकिन उन्होंने आजादी की लड़ाई में गांधीजी का साथ नहीं छोड़ा। महात्मा गांधी के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में किये गये सुधारात्मक और रचनात्मक कार्यों में मीरा बेन की अहम भूमिका रही थी। वह सेवा बस्तियों और पिछड़े वर्ग के लोगों में जाकर नि:संकोच स्वयं सफाई कार्य करती थी। गांधी जी के विचारों और कार्यों के प्रसार में जुटी रहने के चलते भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया। मीरा बेन के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए ‘इंडियन कोस्ट गार्ड’ ने नए गश्ती पोत का नाम उनके नाम पर रखा है। स्वतंत्रता सेनानियों की पुण्यतिथि मनाने वालों में राजेंद्र कुमार, चाँदकौर, धर्मपाल गांधी, कपिल मिस्त्री, रवि कुमार, सोनू कुमारी, पिंकी नरनोलिया, दिनेश कुमार, अशोक कुमार मिंटू, अमित कुमार, अंजू गांधी, सुनील आदि अन्य लोग शामिल रहे।

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