अत्याचार करने की बजाय सुरक्षा प्रदान करें
झुंझुनू, पूरे देश में लॉकडाउन की वजह से देश के कई हिस्सों में बहुत सारे लोग बीच रास्तों में फंस गये हैं।अब उनको बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कर्फ्यू की वजह से पुलिस प्रशासन द्वारा भी प्रताड़ित किया जा रहा है। उन बेबस और असहाय लोगों के सामने खाने-पीने और रहने की गंभीर समस्या है. सरकार और सहायता में लगी एजेंसियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। कोरोना वायरस के खतरे के चलते देश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन कर दिया गया है। ट्रेन और बस सेवा बंद होने के बाद बिहार के 14 मजदूर राजस्थान से पैदल ही निकल पड़े हैं।बिहार में अपने घर जा रहे मजदूर तीन दिन पैदल चलकर जयपुर से आगरा तक पहुंचे हैं। अभी भी इन्हें एक हजार किलोमीटर का रास्ता तय करना है।भूख प्यास से इन सभी की हालत खराब हो गई है। कर्फ्यू की वजह से रास्ते में अब इनको बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। कोरोना वायरस के बिना भी इनकी रास्ते में मौत हो सकती है। ऐसे लोगों की मदद कर इंसानियत का धर्म निभाया जाना चाहिए। देश के अन्य भागों में गरीब मजदूर बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गये। जो घर से दूर दूसरे राज्यों में दूर शहरों में काम कर रहे थे। वैश्विक महामारी कोरोनावायरस की वजह से और लॉकडाउन होने की वजह से काम बंद हो गया और उनको वहां से घर जाने के लिए निकाल दिया लेकिन आवागमन के साधन बंद होने की वजह से वह लोग बीच रास्ते में फंस गये। पहले कुछ राज्यों में लॉक डाउन था। अभी देश के प्रधानमंत्री ने पूरे देश को लॉक डाउन कर दिया।अब वह गरीब मजदूर मुश्किल में फंस गये। वह जायें तो कहाँ जायें? उनके पास घर जाने का कोई रास्ता नहीं है। घरों में कोई घुसने नहीं देता है।सड़कों पर पुलिस मार रही है।उन गरीब मजदूरों का क्या होगा? कोरोना वायरस से मरे या ना मरे लेकिन वह पुलिस की क्रूरता और भूख से ही मर जायेंगे। पुलिस प्रशासन सख्त हो गया है वह अपनी क्रूरता दिखा रहे हैं। वह किसी की मजबूरी नहीं समझ रहे हैं। यह मानवता के साथ खिलवाड़ है।जब भी कोई त्रासदी होती है, आपदा आती है तो उसमें गरीब मजदूरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उनका ही दमन होता है और अंत में मारे भी वही जाते हैं।आज भी वही हो रहा है। सरकार भी हर प्रकार की मदद का दावा कर रही है। किसी को भूखा नहीं मरने दिया जाएगा लेकिन हकीकत ये है कि जिनको आवश्यकता होती है।उनको सहायता नहीं मिलती है।जो गरीब मजदूर अपने घर से बहुत दूर दूसरे शहरों में बीच रास्ते में फंस गए हैं। हमारी दृष्टि से वह बहुत बड़ी मुसीबत में हैं।क्योंकि पुलिस उनके साथ बर्बरता कर रही है।अमानवीय व्यवहार कर रही है।कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिनको देखने के बाद ये महसूस हो रहा है कि कुछ लोग घर से बाहर बहुत बड़ी मुश्किलों में फंस गए हैं। सरकार उनकी मजबूरी समझे और उनके रहने खाने-पीने की व्यवस्था करे। कोरोना वायरस इतनी गंभीर समस्या नहीं है, जितना हमारे देश का सिस्टम खराब हो गया. बेबस, मजलूम, गरीब मजदूरों पर अत्याचार करना यहां की रवायत हो गई। सरकार से हमारा अनुरोध है कि रास्ते में फंसे लोगों की मदद करें उन पर अत्याचार नहीं