सीकर की महिलाओं को आत्मनिर्भरता और उद्यमिता की राह दिखा रहा है राजीविका
सीकर। राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) और रूमा देवी फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को महिला सशक्तिकरण जिला स्तरीय संवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजीविका की ब्रांड एंबेसडर डॉ. रूमा देवी ने की।
उन्होंने कहा कि सीकर की महिलाएँ अब घर की सीमाओं से निकलकर अपने कौशल को बड़े व्यवसाय में बदलें और अपने परिवार व समाज में नई पहचान बनाएं।
“हुनर आपकी पहचान है”—रूमा देवी
डॉ. रूमा देवी ने महिलाओं से सीधा संवाद करते हुए कहा—
“महिलाएँ सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि बदलाव की सूत्रधार बन सकती हैं। अपना हुनर पहचानें, उसे बाज़ार तक पहुँचाएं और अपने सपनों को उड़ान दें।”
उन्होंने स्थानीय SHGs की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि राजीविका ने हजारों महिलाओं के जीवन में ठोस बदलाव लाया है।
गृहणी से उद्यमी बनने तक: प्रेरक कहानियाँ
कार्यक्रम में कई महिलाओं ने मंच पर अपने अनुभव साझा किए:
किशन कंवर
राजीविका से जुड़कर अब अन्नपूर्णा रसोई का सफल संचालन कर रही हैं। उनकी मेहनत ने उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया।
कमलेश कुमारी
घर पर ही साबुन, अगरबत्ती और अन्य उत्पाद बनाकर उन्हें बाज़ार में बेच रही हैं। उन्होंने संवाद में बताया—
“राजीविका ने मुझे आत्मनिर्भर बनने का आत्मविश्वास दिया।”
प्रवक्ता कविता कुमारी ने बताया कि जिले में ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ महिलाएँ राजीविका से जुड़कर नई जिंदगी का अध्याय लिख रही हैं।
भव्य प्रदर्शनी में दिखा महिला कौशल
संवाद के दौरान महिला समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई गई।
इसमें शामिल थे:
- राज सखी ब्रांड के खाद्य उत्पाद
- हस्तनिर्मित वस्त्र
- घरेलू उपयोग की वस्तुएँ
अतिथियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और महिलाओं की सृजनशीलता की भरपूर सराहना की।
अधिकारियों ने बढ़ाया हौसला
कार्यक्रम में मौजूद प्रशासनिक एवं राजनीतिक प्रतिनिधियों ने महिलाओं के प्रयासों को सराहा।
इनमें शामिल थे:
- अतिरिक्त जिला कलेक्टर रतन कुमार स्वामी
- मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद राजपाल यादव
- महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र विकास सिहाग
- सहायक निदेशक पर्यटन विभाग अनु शर्मा
- जिला अध्यक्ष भाजपा मनोज बाटड़ व अन्य अधिकारी
ADC ने कहा—
“महिलाएँ आज हर क्षेत्र में सशक्त हैं। ऐसे कार्यक्रम आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।”
आर्थिक-सामाजिक बदलाव की नई दिशा
इस संवाद ने साबित कर दिया कि सीकर की महिलाएँ अब स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से बड़ी आर्थिक शक्ति बन रही हैं।
वे न केवल स्वयं आत्मनिर्भर हो रही हैं, बल्कि आसपास की महिलाओं के लिए भी रोजगार सृजन का माध्यम बन रही हैं।