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सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू को आरटीआई के तहत सूचना उपलब्ध करवाने के लिए निर्देश

जागो जन गंगा ! खुलकर लहराओ : यह खबर ही नहीं आम आदमी के लिए अधिकारों की लड़ाई भी है

प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग राजस्थान पुरुषोत्तम शर्मा ने दिए पीआरओ झुंझुनू को निर्देश

पत्रकार नीरज सैनी ने किया था आरटीआई के तहत झुंझुनू पीआरओ के समक्ष सूचना प्राप्ति के लिए आवेदन

झुंझुनू पीआरओ ने निर्धारित समय अवधि व्यतीत होने के तक भी नहीं करवाई थी सूचना उपलब्ध

निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को की गई थी प्रथम अपील

झुंझुनू, प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं निदेशक सूचना जनसंपर्क निदेशालय राजस्थान ने आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना अपिलार्थी को उपलब्ध करवाने के लिए लोक सूचना अधिकारी एवं सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू को निर्देश दिए हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पत्रकार नीरज सैनी ने सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू को आरटीआई के तहत आवेदन करके बिंदुवार सूचना मांगी थी लेकिन सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू द्वारा समय अवधि व्यतीत होने के उपरांत तक सैनी को सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई। जिसके चलते पत्रकार सैनी ने आरटीआई एक्ट के प्रावधानों के अनुसार प्रथम अपील, प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय राजस्थान के समक्ष प्रस्तुत की। 16 जून 2023 को इस मामले की सुनवाई प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के सचिवालय स्थित कार्यालय में होनी थी। इस सुनवाई में सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू अनुपस्थित रहे वही अपीलार्थी नीरज सैनी उपस्थित रहे। जिस पर प्रथम अपीलीय अधिकारी ने अपना निर्णय सुनाते हुए आरटीआई की आवेदन पत्र में बिंदुवार मांगी गई सूचना उपलब्ध करवाने के निर्देश प्रदान किए हैं। वहीं पत्रकार नीरज सैनी ने जानकारी देते हुए बताया कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारी द्वारा भी सूचना के अधिकार को हल्के में लिया जाना गंभीर बात है। और यदि उन्हें मांगी गई सूचना प्रॉपर उपलब्ध प्रथम अपीलीय अधिकारी के अनुसार नहीं प्रदान की जाती है तो वह अपनी दूसरी अपील राज्य सूचना आयोग में प्रस्तुत करेंगे। लेकिन सरकार के द्वारा बनाए गए सूचना के अधिकार के लिए यदि उनको लड़ाई हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तक भी लड़नी पड़ेगी तो भी लड़ेंगे। क्योंकि सूचना मांगना आम आदमी का अधिकार है। कोई भी विभाग का अधिकारी इस पर सवाल नहीं उठा सकता है कि सूचना मांगने के पीछे मंशा क्या है? यदि सूचना के अधिकार पर ऐसे सवाल उठेंगे तो इसके प्रावधानों की मूल आत्मा पर यह चोट होगी।

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