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सिर्फ स्वदेशी कंपनियों को मिले एमएसएमई का दर्जा

स्वदेशी जागरण मंच और लघु उद्योग भारती ने की मांग

जयपुर, स्वदेशी जागरण मंच और लघु उद्योग भारती ने मांग की है कि सिर्फ स्वदेशी उद्यमों को ही सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम का दर्जा दिया जाए। पिछले दिनों करीब 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि एमएसएमई के परिभाषा में बदलाव किया जाएगा। अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समविचारी संगठनों लघु उद्योग भारती और स्वदेशी जागरण मंच ने सुझाव दिया है कि इस परिभाषा में इस शर्त को भी शामिल किया जाए कि उद्यम स्वदेशी है यानी उसका स्वामित्व भारतीय नागरिक के पास है और विदेशी उद्यमों को इस दायरे से बाहर रखा जाए। दोनों संगठनों ने यह भी मांग की है कि एमएसएमई से ट्रेडर्स, सर्विस प्रोवाइडर और प्रोफेशनल्स को अलग रखा जाए ताकि स्वदेशी स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिले इसके भी प्रयास भी होने चाहिए। सरकार ने एमएसएमई को निवेश और सालाना टर्नओवर के आधार पर परिभाषित करने का प्रस्ताव रखा है। लघु उद्योग भारती के महासचिव गोविंद लेले ने कहा, हम इस परिभाषा से सहमत हैं, लेकिन सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सिर्फ उन्हीं उद्यमों को एमएसएमई का दर्जा दिया जाए जिनका प्रभावी नियंत्रण भारतीय हाथों में है। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा, इसमें उद्यमों की जगह इंडस्ट्री को रखना चाहिए. मैन्युफैक्चरिंग से ज्यादा नौकरियां मिलती हैं, इसलिए हमें उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। गैर मैन्युफैक्चरिंग फर्म को यदि एमएसएमई के दायरे में लाते हैं, तो सारे फायदे वही ले जाएंगे।’ महाजन ने भी लघु उद्योग भारती की इस मांग का समर्थन किया कि सिर्फ भारतीय उद्यमों को ही एमएसएमई का दर्जा मिले।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा के अनुसार, सूक्ष्म उद्यम की परिभाषा के तहत निवेश की सीमा 1 करोड़ रुपये और सालाना टर्नओवर की सीमा 5 करोड़ रुपये होगी। इसी तरह लघु उद्यमों के तहत निवेश सीमा 10 करोड़ रुपये तक और टर्नओवर की सीमा 50 करोड़ रुपये तक होगी। मध्यम उद्यम उसे माना जाएगा जिनमें निवेश 20 करोड़ रुपये तक और सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपये तक होगा।

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