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खनन से माखर को मिली पहचान तो उठाना पड़ा खामियाजा भी

खनन से खात्मे पर प्राकृतिक सम्पदा

इस्लामपुर के निकटवर्ती माखर ग्राम की पहाड़ियों से निकलने वाले ग्रेनाइट पत्थर ने इस गांव को देश प्रदेश में अच्छी खासी पहचान तो दी लेकिन इस खनन का खामियाजा भी माखर को समय समय पर उठाना पड़ा है। माखर के आसपास के क्षेत्र में छोटी छोटी अनेक पहाड़ियां थी जो अब लुप्त हो चुकी हैं। साथ ही कईयों में पत्थर की खोज में गहराई तक जाने से खदाने बन गई हैं। हमारा सरोकार इस बात से है कि माखर को इस खनन ने पहचान तो दी लेकिन उसका खामियाजा भी बहुत उठाना पड़ा है इस और किसी का ध्यान ही नहीं गया। खनन करने वाले इन रसूखदार लोगो से किसी न किसी प्रकार से स्थानीय लोगो के हित जुड़े रहे या किसी ने भय या दबाब के कारण आवाज बुलंद करने की हिम्मत नहीं की। कल की घटना में माखर की एक पहाड़ी की खदान में पानी भरा हुआ था जिसमें बालक अमर मीणा की डूबने से मौत हो गई। वही स्थानीय लोगो के अनुसार इस क्षेत्र में कई खदान ऐसी है जिनमे खनन तो बंद हो चूका है लेकिन वो बारिश के अंदर मौत का सामान बन जाती है। माखर क्षेत्र की पहचान होने वाली ये पहाड़िया धीरे धीरे विलुप्त होने की कगार पर हैं खनन में लगे माफिया टाइप के ये लोग पहाड़ियों को खा गए, पहाड़ियों के ऊपर की हरियाली को खा गए। यहाँ के क्षेत्र को प्राकृतिक सम्पदा विहीन बनाने में लगे है। पहाड़ियों में मिलने वाले जीव जंतु तो अब किस्से कहानियो की बात हो गए है। देश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों में शुमार यहाँ का महामाया मंदिर की पहाड़ी भी अपना स्वरूप खो चुकी है वही ऐसे ही चलता रहा तो वह दिन भी दूर नहीं जब यह पहाड़ी भी अपना वजूद खो देगी। वहीं पिछले दिनों माइंस विभाग की जिला स्तर पर बैठक हुई थी उसमें जिला कलेक्टर ने आदेश दिए थे कि किसी भी खनन क्षेत्र के अंदर जो खनन के लीज धारक है उनको पर्यावरण सरक्षण के लिए उस स्थान पर प्रयास करने होंगे। उनको सख्त निर्देश दिए गए थे कि जो सक्षम अधिकारी है वो सुनिश्चित करेंगे कि जो खान मालिक है वो उस स्थान पर पौधरोपण जैसी अन्य पर्यावरण सरक्षण को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में अपना योगदान देना सुनिश्चित करेंगे। माखर में खनन का कार्य वर्षों से चलता रहा है लेकिन आज तक किसी भी लीज धारक ने इस गांव में ऐसी गतिविधि करना जरुरी नहीं समझा। प्राकृतिक संपदा को दोनों खुले हाथों से लूटा गया है पेड़ पौधों से हरी रहने वाली पहाड़ियां धीरे धीरे नग्न हुई और अब विलुप्ति की कगार पर है। माखर ग्राम के आसपास के क्षेत्र में जो खनन हो रहा है या हुआ है वह वैध है या अवैध है यह प्रसाशन की जाँच का विषय है। हमारा जो चिंता है जो विचार है वह यह है कि माखर को यह जो खनन से जो पहचान मिली है उसकी माखर ने कितनी बड़ी कीमत चुकाई है। इसका आभास तो इस क्षेत्र के लोगो को देर सबेर हो ही जायेगा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।

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