ताजा खबरशख्सियतसीकर

शेखावाटी के नरेश कुमावत बना रहे है श्रीराम की प्रतिमा

दुनिया के 60 देशों में बना चुके है विभिन्न स्वरूपों की प्रतिमाएं

प्रसिद्ध मूर्तिकार मातूराम वर्मा सुपुत्र मूर्तिकार नरेश वर्मा पिलानी जिला झुंझुनू के निवासी

दांतारामगढ़, [लिखा सिंह सैनी] अयोध्या में भगवान श्रीराम की विशाल प्रतिमा बनाने वाले प्रसिद्ध मूर्तिकार मातूराम  वर्मा व स्व. दर्शना देवी  के सुपुत्र मूर्तिकार नरेश  वर्मा ( कुमावत) शेखावाटी अंचल के ग्राम  पिलानी जिला  झुंझुनू के निवासी हैं । अयोध्या में स्थित हम सबके आराध्य प्रभु श्रीराम  के 492 वर्षों के संघर्ष के बाद निर्माणाधीन मंदिर के परिसर में नरेश को मूर्ति निर्माण का अवसर प्रदान किया गया है।  पैतृक व्यवसाय भवन निर्माण में वैश्विक ख्याति प्राप्त समाज और राजस्थान प्रदेश  का नाम रोशन करने वाले  नरेश  कुमावत पहले भी अपनी कला का नमूना, नाथद्वारा राजस्थान में भगवान शिव की 351 फीट की प्रतिमा बना के दिखा चुके हैं I इससे पहले सोलन हिमाचल प्रदेश में 151 फीट की हनुमानजी की मूर्ति बनाई थी। इसके अलावा पंडित दीनदयाल उपाध्याय की कांस्य प्रतिमा जो तालाब पार्क के पास पिलानी में स्थापित होगी, नरेश कुमार ही बना रहे हैं। नरेश ने दक्षिण अमेरिका के टोरंटो में भी हनुमानजी मूर्ति बनाई है। युवा मूर्तिकार नरेश कुमार को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक पुरस्कार मिल चुके हैं। हाल ही में राष्ट्रपति भवन में नरेश कुमार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी सम्मानित कर चुके है। मॉडल के तौर पर अभी जो भगवान राम की प्रतिमा 12 फीट की नजर आ रही है, अगले साढ़े तीन साल में हू-ब-हू इसी के जैसी ढाई सौ मीटर से ज्यादा ऊंची भगवान राम की प्रतिमा सरयू तट पर खड़ी होगी । प्रतिमा 200 मीटर की होगी और उसके नीचे करीब 50 मीटर ऊंचाई के भवन का आधार होगा। वहीं रामायण म्यूजियम बनाने का प्लान है । जमीन से प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 251 मीटर होगी। रामलला का मंदिर और सरयू नदी के तट पर लगाई जाने वाली भगवान राम की प्रतिमा के साथ ही आकार लेने की संभावना है । कांसे से बनी 200 मीटर ऊंची प्रतिमा पूरी तरह से स्वदेशी होगी। यानी परिकल्पना से लेकर ढलाई और फिटिंग तक सारा काम अपने देश में ही होगा । प्रतिमा में ‘आजानुबाहू’ धनुषधारी राम का सौम्य मुस्कान वाला स्वरूप होगा. आजानुबाहु यानि जिसकी भुजाएं उसके घुटनों के भी नीचे तक पहुंचती हो । हिंदू मान्यता के मुताबिक, आजानुबाहु केवल श्रीराम ही हुए हैं । राम का आजानुबाहु होना उनकी धनुर्विद्या के लिए वरदान सिद्ध हुआ था । भगवान राम की भव्य प्रतिमा की कल्पना को साकार करेंगे शेखावाटी के  शिल्पकार नरेश कुमावत वे दिन रात इस मिशन में जुटे हैं। दुनिया के 60 देशों में भगवान के विभिन्न अवतारों, स्वरूपों की प्रतिमाओं का साकार करने का कुमावत को अनुभव है। इसके अलावा वो राजनेताओं, चर्चित हस्तियों की विशाल प्रतिमाओं का शिल्प भी कर चुके हैं । कुमावत के शिल्प में शिमला के जाखू मंदिर की प्रसिद्ध हनुमान प्रतिमा, महात्मा गांधी की अनेक प्रतिमाएं भी शामिल हैं । कुमावत ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान करने वाले रणबांकुरों की प्रतिमाओं को भी आकार दिया वो भी बिना कोई मेहनताना लिए । कुमावत इसे सेना और सैनिकों को सम्मान देने के लिए अपनी छोटी सी कोशिश मात्र बताते हैं । फिलहाल तो कुमावत का पूरा ध्यान श्री राम चंद्र कृपालु भजु मन पर ही है । भगवान श्रीराम की प्रतिमा बनाने का कार्य नरेश कुमावत द्वारा किये जाने से क्षेत्रीय कुमावत समाज में ही नहीं अपितु पूरे शेखावाटी अंचल में खूशी का माहौल है ।

Related Articles

Back to top button