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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का बलिदान दिवस मनाया

आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में

झुंझुनू, आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में सामाजिक कार्यकर्ता जगदेव सिंह खड़िया के नेतृत्व में शिव शक्ति टॉवर व गाँधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम के महानायक राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रुप में मनाया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी व शिक्षाविद् जगदेव सिंह खरड़िया ने कहा- आजादी के पुरोधा व पथ-प्रदर्शक, महान व्यक्तित्व के धनी, सरलता, सौजन्यता और उदारता की मूर्ति व अहिंसा के कटु पक्षधर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने की उस समय थे। भले ही 30 जनवरी, 1948 को शाम की प्रार्थना के दौरान बिरला हाऊस में 78 वर्ष की उम्र में संकीर्ण मानसिकता की सोच रखने वाले लोगों ने महात्मा गांधी के शरीर की हत्या कर दी हो लेकिन उनकी अजर अमर देवतुल्य आत्मा अब भी भारत और भारतीयों को गांधी दर्शन के रूप में अपने आत्मीय अहसास का अनुभव करा रही है। महात्मा गांधी के द्वारा आजादी के यज्ञ में दिए गए अपने निष्कामों की आहुति से अच्छाई और सच्चाई की ज्योति आज भी जगमगा रही है। महात्मा गांधी भारतीय इतिहास के एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने देशहित के लिए अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी। वह आजादी के आंदोलन के एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजी शासकों के नाक में दम कर दिया था। महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में भी लगातार 21 वर्षों तक अन्याय और नस्लभेद के खिलाफ अहिंसक रूप से संघर्ष किया, जो अंग्रेजों को अफ्रीका में ही नहीं बल्कि भारत में भी महंगा पड़ा। उन्होंने भारत के राजनैतिक परिदृश्य का पूरा चरित्र बदल दिया। जो कभी अछूत माने जाते थे उनके लिए भी उन्होंने जो किया वह कम महत्व का नहीं था। उन्होंने लाखों लोगों को जाति अत्याचार और सामाजिक अपमान के बंधनों से मुक्त कर दिया। महात्मा गांधी द्वारा किया गया ऐतिहासिक सत्याग्रह आंदोलन ने एक राष्ट्र के साथ-साथ दुनियां को प्रेरित किया है। महात्मा गांधी ने ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किए हैं जो लोगों को दूसरे की मदद करने के लिए प्रेरित और उत्साहित करते हैं। महात्मा गांधी की हत्या भारतीय राष्ट्रीयता के बारे में दो विचारधाराओं के बीच संघर्ष का परिणाम थी। महात्मा गांधी का जुर्म यह था कि वह एक ऐसे आजाद भारत की कल्पना करते थे जो समावेशी होगा और जहां विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग बिना किसी भेद-भाव के रहेंगे। महात्मा गांधी की हत्या किसी एक व्यक्ति ने नहीं बल्कि एक संकीर्ण मानसिकता की विचारधारा के लोगों ने साजिश के तहत की थी। 30 जनवरी 1948 को हुई वह वारदात कोई आम नहीं थी। उस दिन शाम को महात्मा गांधी पर गोलियां चली थी, जिसे पूरा देश बापू कहकर बुलाया करता था। गांधी जैसी शख्सियत को खत्म करने का काम कोई अकेला व्यक्ति नहीं कर सकता था और ऐसा था भी नहीं! महात्मा गांधी हत्याकांड में पुलिस ने कुल नौ लोगों को अभियुक्त बनाया था, जिसमें दो को फांसी की सजा हुई थी। महात्मा गांधी हत्या मामले में नाथूराम गोडसे के साथ आठ अन्य को भी अभियुक्त बनाया गया था। इसमें हिंदू महासभा के विनायक दामोदर सावरकर का नाम भी शामिल था। महात्मा गांधी की हत्या के छठे दिन सावरकर को हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने के लिए मुंबई से गिरफ्तार किया गया था। 10 फरवरी 1949 को अदालत ने महात्मा गांधी की हत्या में शामिल अभियुक्तों को सजा सुनाई। नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी की सजा हुई। वहीं विष्णु करकरे, मदनलाल पाहवा, शंकर किस्तैया, गोपाल गोडसे और दत्तात्रेय परचुरे को आजीवन कैद की सजा हुई। महात्मा गांधी ने भारत को आजादी दिलाने के अलावा विश्व स्तर पर नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया। शहीद दिवस पर सत्य और अहिंसा के पुजारी, मानवता के रक्षक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को हम दिल से नमन करते हैं। श्रद्धांजलि सभा में जगदेव सिंह खरड़िया, राजेंद्र सिंह फौजी, रोहतास मैच्यू, रामनिवास ख्यालिया, डॉ. मनोज यादव, आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी, रामस्वरूप नेता, बनवारी भांभू, सुनील पालीवाल, करण सिंह दीवाच, टेकचंद स्वामी, जय सिंह ख्यालिया, राजेंद्र कुमार, चाँदकौर, सुनील गांधी, विकास कुमार, मोहर सिंह, दिनेश, अमित जाखड़, सोनू कुमारी, पिंकी नारनौलिया, राजवीर भापर, अमित कुमार, अंजू गांधी, हर्ष, इंशात आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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