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दांता के प्राचीन शिव मठ में शिवरात्रि पर होगे धार्मिक कार्यक्रम

शिव मंठ में मित्तल परिवार ने 45 लाख रुपए की लागत से करवाया नवनिर्माण

दांतारामगढ़, [लिखा सिंह सैनी ] दांता नगरपालिका के श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा शिव मठ में दो दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन होगा। महंत थानापति श्री नर्मदापुरी जी महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि यह महोत्सव ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 महंत श्री गंगापुरी जी महाराज एवं श्री श्री 1008 श्री महंत थानापति हीरापुरी जी महाराज एवं पावन संत सानिध्य में महाशिवरात्रि महोत्सव होगा जिसमें शुक्रवार 8 मार्च को सुबह 10 बजे से श्री खेड़ापति बालाजी मंदिर से विशाल कलश यात्रा व शोभा यात्रा श्री खेड़ापति बालाजी मंदिर से शिव मठ तक निकाली जाएगी एवं रात्रि 9 बजे से भजन संध्या का आयोजन पचार, जयपुर के कलाकारों द्वारा किया जाएगा। 9 मार्च को शाम 4 बजे से प्रसादी भंडारा होगा । जानकारी के अनुसार तत्कालीन राज परिवार द्वारा निर्मित शिव मन्दिर दांता कस्बे की बसावट के समय से ही ‘साधुवेला’ व ‘शिव परिवार के साथ हस्ती द्वार सहित उदयसिंह की छत्तरियों के पास स्थित है। यह प्राचीन मन्दिर जन-जन की आस्था का प्रतीक है व ‘शिव मठ’ के नाम से प्रसिद्ध है। मन्दिर कें स्थित साधुवेला में बड़े.बड़े महात्माओं ने तप करके इस पीठ को सिद्धि पीठ बनाया है। प्रत्येक शिवरात्रि को महाशिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जाता है ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि को पूजा करने वालों की भगवान शिव मनोकामना पूर्ण करते है।
शिव मठ के मुख्य द्वार (हस्ती द्वार) के बारे में श्रीराम दास स्वामी व ठाकुर करणसिंह, चिरंजी लाल ठेकेदार ने बताया की ठाकुर उदयसिंह हाथी पर बैठकर शिव मठ के साधू महाराज के चमत्कार को देखने के लिए मठ के मुख्य द्वार के पास पहुंचे तो अंदर से साधू महाराज ने कहा की ठाकुर साहब मठ में पधारों तो ठाकुर साहब ने कहा मैं तो हाथी पर बैठकर ही अंदर आऊंगा तो साधू महाराज ने हाथी का कान पकड़कर मठ के दरवाजे से हाथी को अंदर खिंचा तो हाथी दरवाजे के अंदर ठाकुर उदयसिंह सहित अंदर आ गया था। मठ में पूजा अर्चना करने के बाद में हाथी को बहार निकालने के लिए साधू महाराज को कहा तो उन्होंने कहा मेने तो आपने कहा वैसे अंदर प्रवेश करवा दिया अब आप अपने हिसाब से बहार निकलो फिर बाग वाली दीवार को तोड़ कर हाथी को बहार निकाला था। इस लिए मठ के दरवाजे को हाथी (हस्ती) दरवाजा कहते हैं। यह चमत्कारी द्वार मन्दिर के निर्माण के समय से ही निर्मित है व इसके अन्दर से हाथी भी निकल गया था । शिव मठ में शिवरात्रि को भव्य शिव परिवार की यात्रा गाजे बाजे के साथ निकलती थी । मुख्य सन्यासी बाबा शिव परिवार के साथ नगर भ्रमण करते थे। महाशिवरात्रि को ओलिया बक्शजी, महंत बाबाजी व गुलाब दासजी, नारायणजी राणा द्वारा भजनों की प्रस्तुती दी जाती थी। गाजर के हलवे को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता था। प्रेरक घीसालाल छीपा ने बताया की प्राचीन शिव मंठ मन्दिर का नवनिर्माण शिव कृपा से स्वर्गीय सांवरमल मित्तल की पुण्य स्मृति में उनकी धर्मपत्नि गोमती देवी मित्तल एवं इनके पुत्रों अर्जुन मित्तल, बनवारीलाल मित्तल, नरसी मित्तल निवासी दांता ने 45 लाख रुपए की लागत से करवाया है।

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