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अस्पताल में स्टाफ की लापरवाही से एक नवजात की मौत का मामला आया सामने

प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था चाहे कितनी भी सुगम और मजबूत बन रही हो मगर झुंझुनू जिले के महिला सरकारी अस्पताल की व्यवस्था आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है पहले की तरह आज भी वहां पर ऐसी घटना घट चुकी है जिससे कि किसी का भी दिल पसीज जाए। जी हां आज झुंझुनू के महिला सरकारी अस्पताल में एक नवजात बच्चे की मौत का मामला सामने आया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पिलानी तहसील के जीनी गांव के की महिला कविता अपने परिजनों के साथ देर रात को लगभग 11:00 बजे सरकारी अस्पताल में डिलीवरी के लिए आई मगर उसे अस्पताल में भर्ती होने के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ी यही नहीं अस्पताल में ड्यूटी कर रही नर्सिंग स्टाफ ने महिला से 1000 रूपये की मांग भी कर डाली। आखिरकार महिला के परिजनों ने 700 रूपये देकर महिला को अस्पताल में भर्ती करवाया और उसकी डिलीवरी करवाई डिलीवरी होने के लगभग 1 घंटे बाद जब नवजात की हालत खराब होने लगी तो परिजनों ने नर्सिंग स्टाफ को सूचना दी तो नर्सिंग स्टाफ ने परिजनों को लताड़ लगाते हुए यह कह कर वापस भेज दिया कि सुबह देखेंगे अभी नींद का टाइम है हमें सोने दो। मगर लगभग सुबह 4:00 बजे नवजात ने आखरी सांस ली जब इसकी सूचना स्टाफ को दी तो उन्होंने नवजात को आईसीयू वार्ड में भेज दिया मगर वहां पर बच्चे को मृत घोषित कर दिया तो नर्सिंग स्टाफ ने लिए हुए 700 रूपये में से 600 रूपये परिजनों को वापस दे कर यह कह दिया कि आप यहां से चले जाओ और बच्चे को ले जाओ बच्चा खत्म हो चुका है। कितने ईमानदार है हमारे सरकारी अस्पताल के कर्मचारी उन्होंने ईतनी राशि अपने पास रखी जितनी उन्होंने महिला को कथित सेवा दी। ये उस जिले का हाल है जहा के सरकारी चिकित्सा संस्थान राज्य स्तर पर सम्मानित हो रहे है। गौरतलब है कि ऐसे ही मामले एक दो बार पहले भी इसी अस्पताल में सामने आ चुके हैं और ऐसे ही एक मामले को लेकर सरकारी महिला डॉक्टर सस्पेंड भी हो चुकी है। मगर घटनाएं थमने का नाम नहीं लेती है। हालांकि राज्य सरकार चिकित्सा व्यवस्था को लेकर बहुत ही गंभीर नजर आती है जिला कलेक्टर ने भी अस्पताल के एक दो बार दौरे कर के सख्त हिदायत दी है कि चिकित्सा व्यवस्था में किसी प्रकार की कमी ना हो मगर आज जो यह घटना घटी है तो क्या जिला कलेक्टर इस पर कुछ कार्रवाई कर पाएंगे यह भी देखने वाली बात है।

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