झुंझुनूताजा खबर

झुंझुनू में सर्व समाज की जरूरतमंद बेटियों के सामूहिक विवाह का होगा आयोजन

 केहरपुरा के नंदलाल झाझडिय़ा सेवा संस्थान की ओर से झुंझुनूं जिले के सर्व समाज के जरूरतमंद परिवारों की बेटियों का सामूहिक विवाह आयोजन में एक ही छत के नीचे विवाह करवाने की घोषणा की गई है। इसके लिए दस लोगों की कमेटी बनाई गई है जो पूरे आयोजन की व्यवस्था करेगी। संस्थान के बबलू चौधरी (निषित कुमार) ने शनिवार को मेड़तनी बावड़ी के निकट महर्षि वाल्मीकि बगीची में आयोजित समारोह में यह घोषणा की। उन्होंने इस मौके पर गणमान्य लोगों को भारतीय संविधान की प्रतियां भी भेंट कीं। चौधरी ने बताया कि उनकी संस्थान की ओर से पात्र परिवारों की बालिग बेटियों का विवाह करवाया जाएगा। इस पूरे आयोजन के खर्च संस्थान उठाएगा। प्रत्येक बेटी को संस्थान की ओर से घरेलू आवश्यकता के 40 आइटम भेंट किए जाएंगे। संस्थान ने इसके लिए दस लोगों की कमेटी बनाई है। यह कमेटी उन्हें मिलने वाले आवेदनों की जांच करेगी। यह भी पता लगाया जाएगा कि जो भी आवेदन आएंगे, उनके आधार पर व्यवस्था की जाएगी। इस सामूहिक विवाह समारोह के लिए आगामी तीन माह तक आवेदन लिए जाएंगे। इसके बाद एक सर्व मान्य मुहूर्त देख कर विवाह समारोह का आयोजन किया जाएगा। चौधरी ने बताया कि इस दौरान बेटियों को अतिथियों की ओर से दिए जाने वाले कन्यादान की राशि भी सभी बेटियों को भेंट कर दी जाएगी। प्रत्येक विवाह में शामिल होने वाली बारात के भोजन की व्यवस्था संस्थान की ओर से की जाएगी। आयोजन में बाकायदा पंडित की व्यवस्था होगी और हर विवाह अलग चंवरी पर होगा। फिलहाल झुंझुनूं जिले के परिवार ही इसमें शामिल हो सकेंगे। चौधरी ने जिले के लोगों से आग्रह किया है कि वे विवाह योग्य बेटी का रिश्ता तय करें तथा वर-वधू का पूरा विवरण संस्थान को जमा करवा दें ताकि उसी के अनुरूप विवाह आयोजन की व्यवस्था की जा सके। समारोह में चौधरी ने मुख्य अतिथि सांसद संतोष अहलावत, नगर परिषद सभापति सुदेश अहलावत, पार्षद प्रदीप डुलगच, नवलगढ़ से आए ओमेंद्र चारण, भाजपा के जिला महामंत्री डॉ राजेश बाबल सहित ग्यारह गणमान्य लोगों को भारतीय संविधान की प्रतियां भेंट कीं। चौधरी ने बताया कि वे चाहते हैं कि लोग भारतीय संविधान के बारे में जानें तथा उसमें दी गई जानकारी को समझें। इसलिए वे पहले चरण में संविधान की 51 प्रतियां भेंट करने जा रहे हैं। सांसद अहलावत ने कहा कि आज के जमाने में जब भाई अपने भाई की बेटी का विवाह करवाने में सहयोग नहीं करता, वहां जरूरतमंद परिवारों की बेटियों के विवाह का जिम्मा उठाना सराहनीय है।

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