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दुष्कर्म के आरोपी को दस वर्ष का कठोर कारावास

विशेष न्यायाधीश सुकेश कुमार जैन द्वारा

झुंझुनूं, लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम तथा बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम के विशेष न्यायाधीश सुकेश कुमार जैन द्वारा सोमवार को दिये गये एक निर्णय में एक नाबालिग को बहला-फुसलाकर अपहण कर उसके साथ दुष्कर्म करने के आरोपी संदीप कुमार उर्फ गोलू पुत्र रघुवीर सिंह जाट निवासी चिड़ासन थाना चिड़ावा को 10 वर्ष के कठोर कारावास व एक हजार रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया है जबकि दूसरे आरोपी रघुवीर सिंह पुत्र भगवानाराम जाट निवासी चिड़ासन को इस मामले में षडय़ंत्र करने एवं अन्य सभी आरोपो से बरी कर दिया है। मामले के अनुसार 14 अगस्त 2017 को ग्राम दौलतपुरा निवासी एक पुत्री के पिता ने पुलिस थाना सदर झुंझुनूं पर रिपोर्ट दी कि उसकी नाबालिग लडक़ी 14 अगस्त 2017 को 10 बजे प्रात: से गायब है। उसे शक है कि उसकी लडक़ी को कोई लडक़ा बहला-फुसलाकर भगा कर ले गया तथा उसकी लडक़ी एक मोबाईल ले गयी। उस लडक़ी को भगाने वाले लडक़े ने उसे एक मोबाईल नम्बर की सीम दी है तथा जिस लडक़े ने उसे सीम दी है वह उसे बहला-फुसलाकर भगा कर ले गया आदि। इस रिपोर्ट पर पुलिस ने मामला दर्ज कर बाद जांच संदीप उर्फ गोलू के विरूद्ध बलात्कार व पोक्सो एक्ट में तथा रघुवीर के विरूद्ध इस मामले में षडय़ंत्र करने आदि के तहत आरोप पत्र सम्बन्धित न्यायालय में पेश कर दिया। विशिष्ट लोक अभियोजक लोकेन्द्र सिंह शेखावत ने राज्य सरकार की तरफ से पैरवी करते हुये इस मामले में कुल 19 गवाहान के बयान करवाये तथा कुल 80 दस्तावेज प्रदर्शित करवाये। न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा कि पोक्सो एक्ट में यह विसंगती है कि स्वेच्छा से सम्बन्ध बनाने एवं बल पूर्वक सम्बन्ध बनाने के अपराध का वर्गीकरण नही किया गया है तथा दोनो को कानून की एक ही धारा में रखा जाकर समान रूप से दण्डनीय बनाया गया है। पोक्सो एक्ट से पूर्व 16 वर्ष अथवा इससे अधिक उम्र की लडक़ी द्वारा स्वेच्छा से सम्बन्ध बनाना अपराध ही नही था किन्तु अब एक बार से अधिक सम्बन्ध बनाने में पोक्सो एक्ट की धारा 5/6 के तहत न्यूनतम 10 वर्ष के कारावास से दण्डित कर दिया गया तथा उसमें भी अब दिनांक 16 अगस्त 2019 को संशोधन करके इस अपराध में न्यूनतम 20 वर्ष के कारावास से लेकर मृत्यु दण्ड तक दण्डिनीय बनाया गया है। न्यायाधीश ने अपने निर्णय में लिखा कि संदीप कुमार उर्फ गोलू द्वारा अपराध करते समय इस अपराध हेतु न्यूनतम दण्ड 10 वर्ष का कारावास था। न्यायाधीश ने पत्रावली पर आई साक्ष्य का बारिकी से विश्लेषण करते हुये संदीप कुमार उर्फ गोलू को उक्त सजा के साथ-साथ एक हजार रूपये अर्थदण्ड तथा अर्थदण्ड अदा नही करने पर उसे पांच दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा तथा नाबालिग पीडि़ता के अपहरण आदि के आरोप में भी संदीप कुमार उर्फ गोलू को पांच वर्ष का और कठोर कारावास तथा एक हजार रूपये अर्थदण्ड से दण्डित करते हुये सभी सजाएं साथ-साथ भुगतने का आदेश दिया तथा रघुवीर सिंह को सभी आरोपो से दोषमुक्त कर दिया। न्यायाधीश ने अपने निर्णय में यह भी लिखा कि अभियुक्त संदीप कुमार उर्फ गोलू द्वारा अन्वेषण व विचारण, पुलिस व न्यायिक अभिरक्षा में व्यतीत की गयी अवधी उसकी मूल सजा में समायोजित कर उसकी मूल सजा में से मूजरा की जायेगी तथा सभी सजाए साथ-साथ चलेगी।

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