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अमेरिका से आये डॉ रतनाम चित्तूरी एवं कनेक्टिंग ड्रीम फाउंडेशन की टीम ने की चेंज मेकर्स से मुलाकात

माण्डासी विद्यालय के

झुंझुनू, पीरामल फाउंडेशन एवं सहयोगी संस्था कनेक्टिंग ड्रीम फाउंडेशन ने पिछले वर्ष झुंझुनू जिले के नवलगढ़, झुंझुनू, व उदयपुरवाटी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों में चेंज मेकर लैब परियोजना का आरंभ किया था जिसका मुख्य उद्देश्य कक्षा 6 से 8 तक समस्त विद्यार्थियों एवं शिक्षक-शिक्षिकाओं को एक चेंज मेकर के रूप में प्रशिक्षण देते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था जिससे बच्चे अपने आसपास की समस्याओं को खोजना, उनके हलों को पहचानना, एवं खोजे गए हलों को समूह की सहायता से लागू करना सीख पायें | इस पूरे प्रक्रम के तहत स्थानीय सन्दर्भ में बच्चों को 3-C मॉडल यानी Collect Problems, Create Solutions, व Create Impact के बारे में जागरूक करने की ओर ज़ोर दिया गया |

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय माण्डासी में नार्थ साउथ फाउंडेशन एवं स्वंय कृषि इंडोसमेंट के संस्थापक डॉक्टर रतनाम चित्तूरी अमेरिका से आये जिनका मुख्य उद्देश्य कनेक्टिंग ड्रीम व अशोका फाउंडेशन के सहयोग से झुंझुनू में चल रहे प्रोग्राम चेंज मेकर लैब के तहत पीईईओ, शिक्षक-शिक्षिकाएं, भामाशाह, एवं बच्चों से मुलाकात कर उनके अनुभवों को समझना था | इस दौरान उनके साथ कनेक्टिंग ड्रीम फाउंडेशन के सदस्य अरविन्द जी, सुनीता जी एवं पीरामल फाउंडेशन के सदस्य संदीप कुमार सैनी, मोहम्मद अशगाल खान व गांधी फेलो प्रतिज्ञा कुमारी लाला उपस्थित रहे |

डॉक्टर रतनाम एवं बाकी सदस्यों ने पीईईओ बबिता जी से चेंज मेकर लैब के माध्यम से शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं बच्चों में हुए परिवर्तनों के बारे में जाना और ये समझने की कोशिश की कि किस तरह वह एक लीडर के रूप में अपने विद्यालय के बच्चों को एक “प्रॉब्लम सॉल्वर” की तरह कार्य करने और सीखने के अवसर प्रदान करने में अपनी एक अहम् भूमिका निभा रही हैं और कैसे बच्चों द्वारा चेंज मेकर लैब परियोजना के अनतर्गत विद्यालय एवं समुदाय में समस्याओं को हल करने के प्रयास किये गए हैं |

उसके बाद इन सभी लोगों ने बच्चों से उनके चेंज मेकर लैब बूटकैम्प के अनुभवों को जाना जहाँ बच्चों द्वारा 3-C मॉडल का उपयोग करते हुए स्थानीय समस्याओं पर बनाये गए प्रोजेक्ट्स के बारे में अपनी समझ विकसित की | बच्चों ने बताया कि कैसे उन्होंने चेंज मेकर बूटकैम्प के दौरान अपने विद्यालय में हो रहे कचरे का निवारण करने के लिए कम्पोस्टिंग पिट्स को एक हल के रूप में चुना और उसको बनाने एवं विद्यालय के अन्य बच्चों को जागरूक करने के लिए रणनीति बनाई | इसके अलावा बच्चों ने बताया कि उनके विद्यालय में जगह कम होने के कारण लाइब्रेरी नहीं थी जिसके लिए बच्चों ने हर कक्षा में “हैंगिंग लाइब्रेरी” बनाई जिसमे पाठ्यक्रम के अलवा अन्य विषयों एवं रुचि के अनुसार किताबो को लगाया और साथ ही साथ उसकी देखभाल की ज़िम्मेदारी को आपस में सुनिश्चित किया |

समुदाय के संदर्भ में बच्चों ने बताया कि इस तरह की कई सारी समस्याएं उन्होंने अपने गाँव में ढूंढी जैसे कचरे का उचित प्रबंधन न होना, प्लास्टिक का बहुता उपयोग, सड़कों में गढ्ढे, खेल कूद के लिए मैदान का अभाव, आदि को उनके साथ साझा किया जिस पर वह कार्य करने की योजना बना रहे हैं | डॉक्टर रतनाम ने बच्चों से ये भी जाना कि वह आगे कैरियर में किया करना चाहते हैं और उन्हें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किस प्रकार की सहायता की ज़रूरत है | इसके अलावा बच्चों ने उनके लिए एक “ग्रेटीत्युड पत्र” भी लिख कर सौंपा जिसमें उन्होंने उन सभी लोगों का धन्यवाद किया जिनकी वजह से उनके विद्यालय में चेंज मेकर लैब जैसी परियोजना का आयोजन हुआ और बच्चों को 3-C मॉडल एक शक्ति के रूप में प्राप्त हुआ जो उन्हें स्वंय एवं समुदाय की समस्याओं को वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से समझने और हल करने के लिए प्रेरित एवं सहायता प्रदान करना है |

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