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अप्रैल में ही गर्मी ने ढहाया कहर, अस्पतालों में ओपीडी का बढ़ा आंकड़ा

पिछले सात दिन से सूरज की तपन लोगों को झुलसा रही है। पारा 44-44 डिग्री पर अटका है। सुबह के दस बजने के बाद घरों से निकलना मुश्किल हो रहा है। झुलसा देने वाली गर्मी के कारण शहर के तिराहे-चौराहे वीरान हो जाते हैं। आलम यह है कि शाम के सात बजे तक गर्म हवाएं चल रही हैं। लू के थपेड़ों के कारण जहां घरों से बाहर निकलना मुश्किल है वहीं पंखे, कूलर भी ठंडी हवा नहीं दे पा रहे है। बढ़ती गर्मी के कारण बीमारियों ने भी पैर पसार लिए हैं। हालात यह है कि 5 दिन पहले सरकारी अस्पताल की ओपीडी जहां दर्जनों में थी आज सैकड़ों मरीज वायरल फीवर सहित उल्टी-दस्त के अलावा लू लगने के कारण निजी अस्पतालों सहित जिला अस्पताल में पहुंच रहे हैं। अब तो लोग को आसमान में बादल और जल्दी पानी गिरने की दुआएं मांग रहे हैं। तापमान में लगातार रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी हो रही है। तलख धूप के कारण लोगों का सडक़ों पर निकलना मुश्किल हो गया। लोग सीधी धूप का सामना नहीं कर पाए और बचने के लिए छाया में जाकर खड़े हो गए। चिलचिलाती धूप और गर्म हवा ने राहगीरों को बेहाल कर दिया। दोपहर के समय तो हालत बद से बदतर हो गए। लोगों के शरीर से दिनभर पसीना बहता रहा स्थिति यह हो गई की पंखों और कूलर की हवाओं से भी लोगों को गर्मी से राहत नहीं मिली। गर्मी के तेवर तीखे होने के कारण शहर के जाट बाजार, स्टेशन रोड, देवीपुरा रोड, रोडवेज तिराहा, कल्याण सर्किल आदि सडक़े भी दोपहर में विरान नजर आई। भीषण गर्मी के चलते लोग शीतल पेयजल एवं ज्यूस की दुकानों पर गर्मी से बचने का जतन करते रहे। गर्मी की वजह से बाजारों में लोग कम आ रहे हैं। इससे दुकानें खाली पड़ी हैं और व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। वही गर्मी की वजह से पशु पक्षी भी बेहाल हैं। गर्मी में पीने के लिए पानी न मिलने से पशु पक्षी बेहाल हो रहे हैं।

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