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मारवाड़ की मैथिली धार्मिक गायक कलाकार सुनीता स्वामी कम उम्र में ही संगीत में कर रही है नाम रोशन

दांतारामगढ़, [लिखा सिंह सैनी ] अल्प आयु में ही संगीत में नाम रोशन करने वाली मारवाड़ की मैथिली धार्मिक गायक कलाकार सुनीता स्वामी का जन्म नागौर जिले के झौरड़ा गांव के मध्यवर्गीय ब्राह्मण परिवार के जुगल किशोर के घर 8 अगस्त 2004 में हुआ था।जब देश में कोरोना महामारी से स्कूल बंद हो गए थे तब सुनीता ने संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए खूब काम करने लगीं ओर एक से बढ़कर एक अच्छे -अच्छे भजन को गाया जो लोगों को खूब पसंद आए ओर इनको एक गायिका के रूप में पहचान मिलने लगीं थीं उसके बाद में इन्होंने इस काम को निरंतर करना शुरू किया । सुनीता ने बहुत ही कम समय में यूट्यूब ओर बाकी सोशल मीडिया पर लाखों फैन फॉलोइंग बनाई हैं इनके यूट्यूब पर बहुत कम समय में 10 लाख से ज्यादा सब्सक्राइब बना लिये थे। जो इनके लिए कोई अवार्ड्स से कम नहीं हैं इनको यूट्यूब की तरफ से सिल्वर ओर गोल्ड बटन भी मिल चुके ।हैं ओर इनको कई सारे पुरस्कार मिले हैं सबसे बड़ी उपलब्धि यह हैं कि इनको संगीत गायन बहुत छोटी उम्र ओर कम समय में पहचान मिली है जो हर किसी के बस की बात नहीं हैं।

इन्होंने पुराने मारवाड़ी भजन को नए अंदाज में पेश किया जो लोगों को खूब पसंद आए ओर इनकी लोकप्रियता बनने लगीं थीं । बहुत कम उम्र में अपने हुनूर ओर प्यारी आवाज से गायकी के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई हैं इनके इस पहचान का श्रेय यह अपने पिता व भाई राजू को देती हैं क्योंकि उनकी वजह से आज इसने इस मुकाम को हासिल किया हैं ओर लगातार ऊंचाईयां छू रही हैं।सुनीता स्वामी ने दो साल पहले लाईव प्रोग्राम करना शुरू किया था यह राजस्थान के अलावा अब बड़े शहरों में इनके कार्यकर्म आयोजित होते हैं इनके भजन सुनने के लिए लाखों में लोग एकत्रित होते हैं ओर पूरी रात बैठकर इनके भजन सुनते हैं। सुनीता स्वामी के प्रसिद्ध भजन,पहले जैसा प्रेम हमेशा कोनी रेवे रे , स्वर्गा से आयो है संदेश ,समय को भरोसो कोनी कद पलटी मार जावे, राम सुमरले सुखरत करले आगे आडो आवेलो,मत ले रे जीवडा नींद हरामी,काई कारण आयो बंदा ,भाई रे मत दिजो मावड़ली ने दोष कर्मा री रेखा न्यारी,लिख दो म्हारे रोम रोम में,कंचन वाली काया,काया नगर रे बीच में लहरियों आदि भजन है।

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