आजादी पर बड़ा सवाल : अन्याय और सिस्टम से हार कर गरीब ने लगाई इच्छा मृत्यु की गुहार
दबंगो ने जमीन के लिए की मारपीट तो सिस्टम ने कहा उनके साथ करलो समझौता
गुढ़ागौड़जी थाने के केड ग्राम पंचायत के बांडिया नला पंजी का बास निवासी महेश कुमावत ने आज झुंझुनू जिला कलेक्ट्रेट के बाहर मांगी इच्छा मृत्यु
झुंझुनू, इस साल हम आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं लेकिन आज एक पीड़ित व्यक्ति की ऐसी व्यथा हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं जिससे लगता है अंग्रेजो के द्वारा दी गई आजादी के बाद भी आज 75 साल होने के बावजूद भी देश में दबंगों और पहुंच वाले लोगों का ही राज चल रहा है। गरीब व्यक्ति की आवाज को किस प्रकार दबा और कुचल दिया जाता है ऐसा ही एक मामला सामने आ रहा है। गुढ़ागौड़जी थाने के केड ग्राम पंचायत के बांडिया नला पंजी का बास निवासी महेश कुमावत ने आज झुंझुनू जिला कलेक्ट्रेट के बाहर इच्छा मृत्यु की मांग को लेकर धरना डाल दिया। और उसके बताई गई व्यथा में यदि तनिक भर भी सच्चाई है तो हमारे सिस्टम और सरकार के लिए शर्म से डूब मरने वाली बात है। महेश कुमावत ने बताया कि आज से 35 साल पहले मेरे पिता ने एक जमीन खरीदी थी। अब उसी जमीन को 5-7 लोग डरा धमका कर मुझसे वापस लेना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने कुछ दिनों पहले उसके साथ और उसकी पत्नी, पुत्री, बेटे के साथ बुरी तरह से मारपीट भी थी। जिसके चलते उसकी रीढ़ की हड्डी फैक्चर हो गई जिसका झुंझुनू में इलाज चला उसके बाद उसे जयपुर रैफर कर दिया गया। इस मारपीट में उसकी पत्नी के साथ गाली गलौज की गई उसके कपड़े तक फाड़ दिए गए। उसकी बेटी का मोबाइल तक आरोपी छीन कर ले गए। जिसकी रिपोर्ट उसने गुढ़ागौड़जी थाने में भी दी लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। ऊपर से पुलिस वालों ने ही उसके ऊपर दबाव बनाया कि इन लोगों से फैसला कर ले। पीड़ित महेश कुमार ने बताया कि इससे पहले भी वह एसपी और जिला कलेक्टर को ज्ञापन दे चुका है और कहीं भी सुनवाई नहीं होने पर आज वह इच्छा मृत्यु की मांग को लेकर जिला कलेक्ट्रेट के बाहर बैठ गया है। महेश कुमार ने बताया कि जो आरोपी हैं वह मारपीट कर और उसे पागल घोषित करके उसकी जमीन को हथियाना चाहते हैं और वहां पर पेट्रोल पंप बनाना चाहते हैं। न्याय के लिए वह पुलिस के पास भी गुहार लगा चुका है लेकिन सामने वाले दबंग लोगों की दबंगई के चलते उल्टा पुलिस द्वारा भी उसी के ऊपर समझौता या फैसला करने का दबाव बनाया जा रहा है। आज जब जिला कलेक्ट्रेट के गेट के बाहर जब पीड़ित महेश कुमावत ने डेरा डाला तो उसके हाथ में भी कैनुला लगी हुई थी साथ ही मूत्र निष्कासन के लिए थैली भी लगी हुई थी और वह बड़ी मुश्किल से ही किसी के सहारे से चल पा रहा था। आज पीड़ित महेश कुमार का जो मंजर सामने था उसकी फडफडती जुबान और बहते आंसुओं को देखकर लगा कि कौन सी आजादी का हम अमृत महोत्सव मनाने जा रहे हैं। क्या यही वह आजादी है जिसमें आम गरीब आदमी की ना तो सिस्टम सुनाई करता है और ना ही सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग। बरबस ही ख्याल आता है कि आजादी की दूसरी लड़ाई शुरू करने का अब समय आ गया है और यह लड़ाई भ्रष्ट सिस्टम से होगी। यह कैसा संवेदनहीन और अँधा सिस्टम है जिसे गरीब के साथ हुआ अन्याय और उसकी आँख से बह रहे आँसू भी दिखाई नहीं दे रहे है। गरीब की आह और आंसुओ से डरिए जनाब क्योकि इसकी सुनवाई उपरवाले की शीर्ष अदालत तक होती है। जिस दिन सुनवाई होती है उसमे महल और मुकुट दोनों बह जाते है।