बढ़ती जा रही है रसियाओं की संख्या
झुंझुनूं , होली पर्व से पंद्रह दिन पूर्व लोकगीतों पर आधारित धमाल कार्यक्रम को राजस्थान में खासतौर से शेखावाटी झुंझुनू,सीकर,चूरु तीनों जिलों में देर रात तक चलने वाले स्वांग,मस्ती के माध्यम से अभिव्यक्ति प्रस्तुत करने वाले आयोजन को फागनिया के नाम से जाना जाता है।शेखावाटी का फागनिया महोत्सव पूरे राजस्थान सहित विदेशों में अपनी पहचान रखता है।राजस्थान के प्रवासी चेन्नई, कोलकाता,मुंबई,हैदराबाद,सूरत,बैंगलुरु इत्यादि शहरों से अपनी जन्मभूमि शेखावाटी के झुंझुनू,चूरु, सीकर आकर पंद्रह दिनों तक हर्षोल्लास के साथ अपने पुराने बचपन के संगी साथियों के चंग की थाप पर देर रात तक लोकगीतों की सुरीली धुनों पर कदम थिरकाते नजर आते हैं।फाल्गुन माह में पन्द्रह दिनों तक चलने वाले फागनिया महोत्सव में पुरूष महिलाओं की वेशभूषा पहनकर,पुरुषों के संग हसीं ठिठोली कर मनोरंजन करतें है,वहीं इस महोत्सव के जरिये ही सही आपसी लोगों का मेल मिलाप भी दिल खोलकर हो जाता है। झुंझुनू शहर के लोगों के बीच पिछले पच्चीस वर्षो से फागनिया महोत्सव का संचालन करने वाले महेंद्र सोनी एंड पार्टी फाल्गुनी गीतों पर धमाल प्रस्तुति करने में किसी परिचय के मोहताज नहीं है।शहर में हुए एक आयोजन के दौरान जब महेंद्र सोनी से फागनिया के बारें में जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि होली पर्व पर एक दूसरे मित्रों के संग बचपन से लेकर जवानी तक के दिनों की हुड़दंग को बुढ़ापे में आकर भी देखना ही फागनिया का असली उद्देश्य है,बढ़ती उम्र में बचपन और जवानी के दिनों की याद ताजा होने से मन में तरंगे हिलोरें लेने लग जाती है जो कर्णप्रिय संगीत के साथ सुरीली आवाज पर कदम अपने आप थिरकने लगे तो इंसान मस्ती से सरोबार होकर नाचने लग जाये इसे ही फागनिया का असली रूप कहते है।
दर्शकों के बारें में सोनी ने बताया कि हमारी पार्टी में पन्द्रह से बीस व्यक्ति सहयोगी कलाकार के रूप में रहतें है जो गायन,वादन के साथ ही नई रचनाओं के साथ समाज को सार्थक संदेश देती धमाल को अपने ही अंदाज में प्रस्तुत करते है,फाल्गुन माह के लगते ही धमालों के रसिया अपने अपने परिचितों के माध्यम से कब कहां आयोजन होगा,जानकारी पाकर एक दूसरे तक यह जानकारी उपलब्ध कराते है जिससे पिछले कुछ वर्षों में फागनिया के रसिया तेजी से बढ़ रहें है।हर वर्ष झुंझुनू जिले से बाहर के लोगों के भी फागनिया महोत्सव आयोजित करने के ऑफर आते रहतें जिसमें कलकत्ता,मुम्बई,चैन्नई,हैदराबाद सहित अनेक जगहों से डिमांड रहती हैं।फागनिया के आर्थिक व्यय की व्यवस्था के सवाल पर उनका कहना है कि कुछ एक मित्र मंडली व संस्थाओं द्वारा आपसी भाईचारे को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य के साथ ऐसे आयोजन करवाती है।वहीं कुछ समय से राजनीति के शौकीन भी अपनी शानोशौकत के लिए ऐसे आयोजनों को तवज्जों देनें लगे हैं।शुरुआत में शहर के सेठ,साहूकारों द्वारा अपने शहर के लोगों से वर्ष भर व्यवसाय के चलते जो दूरी बनी रहती थी,वो फागनिया के माध्यम से मुलाकात व गिले शिकवे दूर कर हसीं मजाक कर आपसी सौहार्द्र को प्रगाढ़ता देनें की दृष्टि से आयोजन किये जाते थे।वर्तमान में फागनिया के हालात पर उनका कहना था कि हसीं खुशी के इस त्योहार पर शराब व नशे की बढ़ती प्रवर्ति के चलते अब वह बात नहीं रही जो शुरुआत के दिनों में होती थी।