झुंझुनूं, Shekhawati Live झुंझुनूं जिले में वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच चला आ रहा विवाद आखिरकार 14 दिनों के लंबे गतिरोध के बाद सुलझ गया।
जिला अभिभाषक संस्था के बैनर तले चल रहे इस आंदोलन से जिलेभर की अदालतों का कामकाज ठप पड़ा था, लेकिन अब पुलिस अधीक्षक बृजेश ज्योति उपाध्याय के हस्तक्षेप और आश्वासन के बाद वकीलों ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की।
वकीलों के मांग पर 7 पुलिसकर्मी लाइन हाजिर
एसपी उपाध्याय ने वकीलों की प्रमुख मांग मानते हुए बगड़ थाने के 7 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया, जिनमें शामिल हैं:
- रमन कॉन्स्टेबल
- मनीष कॉन्स्टेबल
- लक्ष्मीनिवास कॉन्स्टेबल
- महेन्द्र कॉन्स्टेबल
- सुनील महिला कॉन्स्टेबल
- अनिल कॉन्स्टेबल
- सुरेंद्र कॉन्स्टेबल (पहले ही लाइन हाजिर किए जा चुके)
एसपी ने दिया निष्पक्ष जांच का आश्वासन
बुधवार को पुलिस अधीक्षक बृजेश ज्योति उपाध्याय ने वकील प्रतिनिधियों से बातचीत कर निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया।
“किसी निर्दोष के साथ अन्याय नहीं होगा और दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा।”
— एसपी बृजेश ज्योति उपाध्याय
14 दिन बाद अदालतों में लौटी रौनक
9 सितम्बर से शुरू हुआ यह कार्य बहिष्कार अब समाप्त हो गया है। बुधवार को वकीलों की वापसी के साथ अदालत परिसर में फिर से चहल-पहल लौट आई।
वादकारियों ने राहत की सांस ली, जो पिछले कई दिनों से सुनवाई के इंतजार में लौट रहे थे।
विवाद कैसे शुरू हुआ?
यह पूरा मामला वृंदावन मेले के दौरान पार्किंग विवाद से शुरू हुआ।
एडवोकेट सुरेंद्र कुमावत और बगड़ पुलिस के बीच हुई कहासुनी के बाद, पुलिस ने वकील पर शांतिभंग का मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
वकीलों का आरोप था कि पुलिस ने मारपीट की और अधिवक्ता की गरिमा का उल्लंघन किया।
इस घटना को वकील समाज ने न्याय व्यवस्था पर सीधा हमला मानते हुए आंदोलन की राह पकड़ी थी।