उदयपुरवाटी (सीकर/झुंझुनूं)कैलाश बबेरवाल। मालकेतु बाबा की ऐतिहासिक 24 कोसी परिक्रमा मंगलवार को तीसरे पड़ाव पर पहुंच गई। परिक्रमा शाकंभरी से रवाना होकर सकराय, नागकुंड, भगोवा, कालाखेत और टपकेश्वर महादेव की कठिन पहाड़ियों से होती हुई शोभावती पहुंची।
रात्रि सत्संग और विश्राम
शोभावती में हजारों साधु-संतों व श्रद्धालुओं ने रात्रि सत्संग किया। श्रद्धालु खाकी अखाड़ा में विश्राम कर बुधवार को नीमड़ी घाटी की दुर्गम चढ़ाई पार कर रघुनाथगढ़ की ओर बढ़ेंगे।
75 किलोमीटर की कठिन यात्रा
यह परिक्रमा झुंझुनूं और सीकर जिले के बीच 75 किलोमीटर का सफर है, जिसे श्रद्धालु सात दिन में पैदल पूरा करते हैं।
इस मार्ग को मिनी कश्मीर भी कहा जाता है क्योंकि यहां सात प्राकृतिक धाराएं और कुंड मिलते हैं।
स्थानीय श्रद्धालु गीदाराम व गीगाराम द्वारका प्रसाद (सीकर) ने बताया:
“यह परिक्रमा गोगा नवमी से शुरू होकर अमावस्या को पूरी होती है। इस बार 30 से 40 लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।”
अनुशासन और भाईचारा
परिक्रमा में सबसे खास बात यह है कि पुरुषों से ज्यादा महिलाएं शामिल होती हैं। श्रद्धालु अपना सामान सिर पर और हाथ में लकड़ी का सहारा लेकर चलते हैं।
वृद्ध श्रद्धालु भी थकान को नज़रअंदाज़ कर शिव व मालकेतु बाबा के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ते हैं।
बावजूद इसके कि पुलिस बंदोबस्त सीमित है, परिक्रमा में कभी कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
श्रद्धालु एक-दूसरे की मदद करते हैं और परिक्रमा को मिलजुलकर पूरा करते हैं।
सात धाराएं देती हैं नई ऊर्जा
इस परिक्रमा मार्ग में सात जलधाराएं हैं, जिन्हें श्रद्धालु “बूस्टर डोज़” मानते हैं।
यह धाराएं थकान मिटाकर नई ऊर्जा देती हैं, जिससे श्रद्धालुओं के कदम कभी नहीं रुकते।
भंडारे और सेवा भाव
यात्रा के दौरान जगह-जगह भंडारे और जलपान की व्यवस्था स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा की गई है।
राजस्थान ही नहीं, बल्कि विदेशों और अन्य राज्यों से आए श्रद्धालु भी इस परिक्रमा में हिस्सा ले रहे हैं।