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पीआरओ हिमांशु सिंह की कार्यशैली पर उठे सवाल, पत्रकारों ने मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन | Jhunjhunu

Journalists submit complaint against Jhunjhunu PRO to CM Bhajanlal

झुंझुनू, हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा झुंझुनू के दौरे पर आए और झुंझुनू के सर्किट हाउस में उन्होंने जन सुनवाई भी की। इस अवसर पर झुंझुनू जिला मुख्यालय के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को कांग्रेस शासन के समय से कुंडली मार बैठे जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू हिमांशु सिंह की कार्यशैली को लेकर एक शिकायती ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौंपा। सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि झुंझुनूं सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय में कांग्रेस शासन के समय से ही हिमांशु सिंह पदस्थापित है। जिनकी कार्यशैली पत्रकारों को लेकर भी ठीक नहीं है। साथ ही वे अपने कार्य के प्रति भी लापरवाह है। इसकी जानकारी सीनियर आईएएस, तत्कालीन झुंझुनूं जिला कलेक्टर और वर्तमान में कृषि व पंचायतीराज (कृषि) विभाग की आयुक्त सुश्री चिन्मयी गोपाल से भी प्राप्त की जा सकती है। क्योंकि जब सुश्री चिन्मयी गोपाल झुंझुनूं की जिला कलेक्टर थी। उस वक्त सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु सिंह की कार्यशैली और उनकी लापरवाही से बहुत ज्यादा नाराज थी। अपने में सुधार की बजाय सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु सिंह ने उस वक्त भी अवकाश ले लिया था।
पूर्व में जब कांग्रेस की सरकार थी। तब पीआरओ हिमांशु सिंह जातिवाद का हवाला देकर तत्कालीन सीएम के ओएसडी रहे देवाराम सैनी का नाम लेकर डराते थे और रौब झाड़ते थे। अब वे जिले के प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत का नाम लेकर डराते और रौब झाड़ते है। पत्रकारों के साथ भी अच्छा
व्यवहार रखने की बजाय उलटी-सीधी शिकायतें मीडियाकर्मियों के संस्थानों में करते रहते है। ताकि सभी पत्रकार उनसे डरकर रहे। यह प्रवृत्ति इसलिए भी है कि उनके द्वारा कार्यालय में किए जा रहे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को कोई भी पत्रकार खुलासा ना कर सके। भाजपा सरकार आने के बाद आज भी सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय में ऐसे चेहते कार्मिकों को संविदा पर रख रखा है। जो विशुद्ध रूप से कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक है। जिसके प्रमाण हमारे पास उपलब्ध है।

सुश्री चिन्मयी गोपाल जब झुंझुनूं की कलेक्टर थीं, तब भी वे हिमांशु सिंह की कार्यशैली से नाराज थीं।” – ज्ञापन में उल्लेख

सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय में पीआरओ हिमांशु सिंह के संरक्षण में काफी अनियमितताएं हो रही है। जैसे किराए पर कार्यालय की गाड़ी का दुरुपयोग, ई मित्र के कारण कार्यालय के पार्क को खुर्द-बुर्द करना, विभिन्न खरीद और प्रिंटिंग आदि के कार्य में भ्रष्टाचार, सूचना केंद्र सभागार के उपयोग पर किराया की राशि बंद कर आर्थिक भ्रष्टाचार फैलाना आदि प्रमुख है। पीआरओ हिमांशु सिंह की लोकेशन भी निकलवाई जाएगी तो साफ हो जाएगा कि वे झुंझुनूं मुख्यालय से ज्यादा, झुंझुनूं मुख्यालय के बाहर ज्यादा घूमते है। जिनका कार्यालयी काम-काज या फिर खबरों से कोई लेना देना नहीं होता। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय में समाचारों का प्रेषण होता है। जिसमें भी झुंझुनूं पीआरओ कार्यालय शेखावाटी के तीनों जिलों में तो सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ है ही। संभवतया पूरे राजस्थान में सबसे कम समाचार प्रेषित करने वाला कार्यालय भी कोई है तो पीआरओ कार्यालय झुंझुनूं ही हो। जिसके आंकड़े तो आपके विभाग के पास भी आसानी से मिल जाएंगे।

प्रेस विज्ञप्तियों में देरी से कवरेज पर असर

पत्रकारों का कहना है कि झुंझुनूं का सूचना कार्यालय शेखावाटी के तीनों जिलों में सबसे कमजोर है। मुख्यमंत्री के दौरे जैसी महत्वपूर्ण कवरेज को लेकर भी समय पर प्रेस नोट जारी नहीं किया गया

पीआरओ हिमांशु सिंह ना केवल सरकारी कार्यक्रमो और योजनाओं की प्रेस विज्ञप्ति जारी करने में शेखावाटी के तीनों जिलों में सबसे निचले पायदान पर तो है ही। साथ ही किसी भी प्रकार के कार्यक्रमों की सूचना पत्रकारों तक देने में भी इतने लेट लतीफ है कि कोई भी पत्रकार कार्यक्रम में पहुंचकर भी कवरेज नहीं कर पाता। आप के दौरे को लेकर भी 19 अप्रेल की प्रेस विज्ञप्ति को छोड़ दें तो तीन-चार दिनों में एक समाचार नाम मात्र का सूचना एवं जनसंपर्क विभाग झुंझुनूं द्वारा पत्रकारों को प्रेषित किया गया है। आपके दौरे को लेकर ही इतनी बड़ी लापरवाही और उदासीनता। तो आप समझ सकते है अन्य कार्यक्रमों के समाचारों की स्थिति क्या होगी?

पत्रकारों को गुटों में बाँटने का आरोप

ज्ञापन में यह भी कहा गया कि हिमांशु सिंह पत्रकारों को बांटकर अपने हित साधते हैं और जो पत्रकार विरोध करते हैं, उनके संस्थानों में शिकायतें भेजकर दबाव बनाते हैं

इस शिकायत के बाद पीआरओ हिमांशु सिंह द्वारा किन्हीं पत्रकारों द्वारा अपने समर्थन में आप के समक्ष प्रशंसा पत्र भी दिलवा सकते है। जिससे भी आपके समक्ष यह प्रमाणित हो जाएगा कि पीआरओ हिमांशु सिंह झुंझुनूं में पत्रकारों को समान नजरिए से और समान सम्मान भाव देने की बजाय अपने भ्रष्टाचारी कारनामों को छुपाने के लिए पत्रकारों को गुटों में बांटकर सिर्फ और सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए झुंझुनूं में जमे बैठे है। ऐसे पीआरओ से किसी भी प्रकार के पत्रकारों व प्रशासन के बीच सकारात्मक सामंजस्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती। चूंकि आप भी पत्रकारों के हितों के लिए हमेशा सावचेत रहते है और आपके विकसित राजस्थान के सपनें को पूरा करने में हर नागरिक का सहयोग अपेक्षित है। इसलिए हम सरकार और प्रशासन के हर कार्य में पत्रकार के तौर पर भी और एक आम नागरिक के तौर पर भी सहयोग करते है। आपसे आग्रह है कि वर्तमान पीआरओ हिमांशु सिंह को झुंझुनूं से हटाकर दूसरी जगह लगाया जाए। ताकि सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार का कार्य एक जिम्मेदार, अनुभवी, कर्मठ पीआरओ अच्छे ढंग से काम कर सके।

पत्रकारों की मांग क्या है ?

पत्रकारों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि:

  • झुंझुनूं के वर्तमान पीआरओ हिमांशु सिंह को तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित किया जाए।
  • एक जिम्मेदार, निष्पक्ष और सक्रिय पीआरओ की नियुक्ति की जाए जो सरकार की योजनाओं को जनता तक सही तरीके से पहुँचा सके।

“सरकार की योजनाओं के प्रचार में सूचना विभाग की जिम्मेदारी अहम है, लेकिन मौजूदा अधिकारी इसमें नाकाम रहे हैं।” – स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार

निष्कर्ष

झुंझुनूं सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय के खिलाफ उठी यह आवाज सरकार के लिए एक चिंतन का विषय बन गई है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस पर क्या कदम उठाते हैं।

जब पर्दे के पीछे छिपे थे झुंझुनूं पीआरओ – चर्चा में रहा घटनाक्रम

पत्रकारों की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, जब डॉ. समित शर्मा, संभागीय आयुक्त के रूप में झुंझुनूं के दौरे पर आए थे और कलेक्ट्रेट सभागार में अधिकारियों की बैठक चल रही थी, उस समय सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु सिंह बैठक में प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित नहीं थे।

कलेक्टरेट सूत्रों के अनुसार, हिमांशु सिंह बैठक स्थल पर प्रोजेक्टर के पीछे पर्दे में छिपकर बैठे थे, जबकि उनके अधीनस्थ अधिकारी सहायक सूचना अधिकारी विकास चाहर अग्रिम पंक्ति में बैठे थे और प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

“कलेक्टर चिन्मयी गोपाल की नाराजगी इतनी थी कि वह बैठकों में पीआरओ को बुलाने की बजाय सहायक अधिकारी को ही प्राथमिकता देती थीं।” – कलेक्ट्रेट सूत्र

इस घटनाक्रम को लेकर उस वक्त प्रशासनिक गलियारों में खूब चर्चा रही