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अधिक प्यास लगना, सिरदर्द व त्वचा का सूखा होना है लू-तापघात के लक्षण

लू-तापघात के प्रकोप से बचने के लिये बरते आमजन सावधानियां

चूरू, जिले में गर्मी के बढते तापमान के कारण लू-तापघात की संभावना को मध्यनजर रखते हुये लू-तापघात से बचाव एवं उपचार हेतु समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिये जिले के सभी चिकित्सा संस्थान व चिकित्साकर्मियों को सीएमएचओ डॉ मनोज शर्मा ने निर्देश दिये हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ मनोज शर्मा ने बताया कि लू-तापघात से बचने के लिये जनजागृति आवश्यक है। उन्होंने जिले के सभी राजकीय चिकित्सा संस्थानों के एक वार्ड में बैड लू-तापघात के रोगियों के उपचार हेतु आरक्षित रखने, वार्डों को कूलर व पंखे से ठंडा रखने, मरीज तथा उसके परिजनों के लिये शुद्ध व ठंडे पेयजल की व्यवस्था रखने, संस्थान में रोगी के उपचार हेतु आपातकालीन किट में ओर.आर.एस. एवं आवश्यक दवाइयां तैयार रखने, चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाॅफ को इस दौरान ड्यूटी के प्रति सतर्क रखने के निर्देश दिये है।

सीएमएचओ ने बताया कि लू व तापघात के लक्षणों में सिर का भारीपन व सिरदर्द, अधिक प्यास लगना व थकावट, जी मचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान अत्यधिक (105 एफ या अधिक) हो जाना व पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना व त्वचा का सूखा होना, अत्यधिक प्यास का लगना बेहोशी जैसी स्थिति का होना आदि शामिल है।

वृद्व, महिलायें, बच्चे व श्रमिक रखें विशेष ध्यान

उन्होंने बताया कि लू-तापघात से कुपोषित बच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिलायें, श्रमिक आदि शीघ्र प्रभावित हो सकते है। अतः इन्हें प्रायः 10 बजे से सायं 6 बजे तक तेज गर्मी से बचाने हेतु छायादार ठंडे स्थान पर रहना उचित है। तेज धूप में निकलना आवश्यक हो तो ताजा भोजन करके उचित मात्रा में ठंडे जल का सेवन करके बाहर निकलना चाहिए। थोड़े अंतराल के पश्चात ठंडे पानी, शीतल पेय, छाछ, ताजा फलों का रस का सेवन करने, तेज धूप में छाते का उपयोग अथवा कपड़े से सिर व बदन को ढ़ककर रखने एवं श्रमिकों के कार्यस्थल पर छाया एवं पानी का पूर्ण प्रबन्ध रखना आवश्यक है। लू-तापघात से प्रभावित रोगी को तुरन्त छायादार ठंडे स्थान पर लिटाया जाये एवं रोगी की त्वचा को गीले कपड़े से करने के साथ ही रोगी के कपड़ों को ढीला कर दिया जायेे। रोगी को ठंडे पेय पदार्थ दिया जाये एवं रोगी को तत्काल नजदीक के चिकित्सा संस्थान में उपचार हेतु ले जाया जाये।