श्री ऋषिकुल ब्रह्मचार्याश्रम के वार्षिकोत्सव पर महाराज त्रयम्बकेश्वर चैतन्य ने ब्रह्मर्षि, राजर्षि, महर्षि व देवर्षि के अन्तर के बारें में प्रचवन दिया। नारद ब्रह्मा के मानसपुत्र बनें और देवर्षि कहलाए। चैतन्य महाराज ने केवट व सुदामा की भक्ति को सर्वश्रेष्ठ बतलाते हुए कहा कि एक जगह भगवान भक्त के चरण धोता है। दूसरी भक्त भगवान के। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने रोचक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देकर सभी का मनमोह लिया। कार्यक्रम के अन्तिम चरण में मेघावी विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया। प्रधानाचार्य ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। न्यासी डॉ.ईश्वरप्रसाद पटवारी व सुशील कुमार बजाज ने महाराज का आभार व्यक्त किये।
चूरू में श्रीऋषिकुल ब्रह्मचार्याश्रम का वार्षिकोत्सव संपन्न
