Posted inGeneral News

बेवा के लिए सहायक सिद्ध हुई राष्ट्रीय लोक अदालत

बैंक द्वारा रिकवरी का मामला

रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] राजीनामा से योग्य प्रकरणों का निपटारा करवाने के उद्देश्य से आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत आज एक बेवा के लिए सहायक सिद्ध हुई। रतनगढ़ के वार्ड 35 की रहने वाली सन्तोषदेवी के पति गंगाधर रैगर ने रेहड़ी-ठेला लगाकर आजीविका उपार्जन के लिए अशोक स्तम्भ स्थित एसबीआई बैंक से 25 हजार का लोन लिया था, लेकिन 2012 में उनकी मृत्यु हो गई। बैंक द्वारा रिकवरी के लिए जब नोटिस जारी किया, तो उक्त प्रकरण को राष्ट्रीय लोक अदालत में रखा गया। महिला प्रकरण का निस्तारण करवाने के उद्देश्य से अदालत पहुंची तथा अपने साथ एक हजार रुपए लेकर आई, लेकिन बैंक द्वारा ब्याज सहित बकाया राशि आठ हजार रुपए के करीब बताई गई। एडीजे प्रवीणकुमार वर्मा व एसीजेएम सृष्टि चौधरी ने मध्यस्ता करते हुए बैंक से ब्याज माफ करने की बात कही। उसके बाद बैंक ने तीन हजार रुपए बकाया निकाली। एडवोकेट प्रकाश मारू ने अपनी जेब से दो हजार रुपए देकर महिला की सहायता करते हुए उक्त प्रकरण का निस्तारण करवाया। शनिवार को हुई लोक अदालत में दो बैंचों का गठन हुआ था, जिसमें बार संघ के अध्यक्ष निर्मल भुढाढरा, सामाजिक कार्यकर्ता संतोषकुमार इंदौरिया, एडवोकेट संजय कटारिया व लक्ष्मण प्रजापत को सदस्य बनाया गया है। राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायालय अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश से संबंधित 150 प्रकरण राजीनामा के लिए रखे गए एवं न्यायालय अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से संबंधित कुल 325 प्रकरण रखे गए।