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कौन सुनेगा तीर्थराज लोहार्गल की पीडा।

शेखावाटी के उदयपुरवाटी कस्बें से दस किलोमीटर दूर तीर्थराज लोहार्गल का नाम देश-प्रदेश के तीर्थ स्थानों मे अपना विशिष्ट स्थान रखता है। वही सात समुन्दर पार के सैलानियों मे भी एक पर्यटक स्थल के रूप मे अपनी पहचान बना चुका है। पाण्डवों के अस्त्र गलाकर उनको पाप मुक्त करने वाले इस स्थान की निर्मल होने की पीडा लगता है किसी को दिखाई नही दे रही है। जिस गति से यहा आने वाले लोगों की संख्या मे वृद्धि हुई है। उस अनुपात मे मूलभूत सुविधाओं का विकास नही होने से इस स्थान का पर गंदगी और कचरे के ढेर नजर आते है। एक तरफ भारत सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान चलाकर देश की तस्वीर बदलने का कार्य हो रहा है। ग्राम पंचायतो को खुले मे शौच से मुक्त बनाया जा रहा है। वही ऐसे धार्मिक स्थलो पर मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते गंदगी और बदबू से बुरा हाल है। एक दिन तीर्थ पर जाने वाले व्यक्ति को यहा पर अपने पाप धोने से तो मतलब है परन्तु उसके द्वारा फैलायी जा रही गंदगी व तीर्थ स्थान की सफाई व्यवस्था से कोई सरोकार नही है। जो कि चिंता का विषय है। वही सरकारी स्तर पर अभी तक यह स्थान उपेक्षित रहा है। ऐसे मे राजस्थान सरकार की तीर्थराज लोहार्गल जैसे स्थानों के लिए दस करोड रूपये की सहायता की बजट घोषणा से इस स्थान के लिए एक नई आशा की किरण दिखाई पड रही है।