सरकारी अस्पतालो की ‘काया’ के साथ ‘माया‘ भी बदले तो कुछ बात बने।

हाल ही मे झुंझुनू जिले के सरकारी अस्पतालों ने कायाकल्प योजना के अर्न्तगत 67.5 लाख रूपये की विशाल धनराशी ईनाम स्वरूप प्राप्त की। जो हमारे लिए गौरव की बात तो है परन्तु एक यक्ष प्रश्न हमारे सामने मुह बाये खडा है कि इन सरकारी अस्पतालों की काया तो बदल गयी लेकिन इस महकमे के कुछ लोगो की कार्यक्षमता के साथ काम न करने की इच्छा, लापरवाही से हमारे जिले के अस्पतालों को कब निजात मिलेगी। यानि काया के साथ इनमे अन्दर की माया भी बदले तो कुछ बात बने। समय पर अस्पतालों मे चिकित्सक उपलब्ध हो जिससे रोगी व्यक्ति को तुरन्त इलाज मिले। हमारे चिकित्सक अस्पतालों मे ईमानदारी से मरीजों को देखे न कि घरों पर मरीज देखने के लिए टकटकी लगाकर बैठे। आम आदमी अस्पतालो मे टकटकी लगाकर डॉक्टर की राह देखते है। और डॉक्टर साहब घर मरिजों की सेवा मे व्यस्त रहते है। हमारा कहना है कि जिस तरह से भौतिक संसाधनों मे सुधार किया गया है। वैसे ही अस्पताल मे कार्यरत जैविक संसाधनों मे भी पर्याप्त सुधार किया जाये ताकि सरकार के द्वारा चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाओं का धरातल पर सही व्यक्ति को लाभ मिल सके। सरकारी अस्पतालो की आत्मा उनमे काम करने वाले कर्मचारी है। इसलिए अब काया के साथ आत्मा पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये।