ककराना (भरत सिंह कटारिया)।गुलाबपुरा गांव की आंगनबाड़ी संख्या 3, जो राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय ढहर ककराना (मालियों की ढाणी) के भवन में संचालित हो रही थी, अब छोटे बच्चों के लिए खतरे का केंद्र बन चुकी है। भवन जर्जर हो चुका है, दीवारों में दरारें हैं और बरसात में पानी कमरे के भीतर भरता है।
निजी घरों में शिफ्ट की गई आंगनबाड़ी
स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि भवन की स्थिति बैठने योग्य नहीं है और अब बच्चों को निजी घरों में बैठाकर आंगनबाड़ी संचालन किया जा रहा है। भवन किसी भी समय गिर सकता है, जिससे बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
हादसे को निमंत्रण बन चुका भवन
हाल ही में झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने से हुए हादसे ने राज्य सरकार को अलर्ट किया है, लेकिन ककराना जैसे गांवों में अब भी लापरवाही देखी जा रही है। भवन वर्षों पुराना है और अब तक मरम्मत तक नहीं करवाई गई।
“हमने सीनियर स्कूल ककराना के पीओ को कई बार अवगत करवाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब मजबूरी में निजी घरों में केंद्र चला रहे हैं।”
— स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
अधिकारियों पर अनदेखी का आरोप
महिला बाल विकास विभाग की महिला सुपरवाइजर मधु ने बताया कि उन्होंने स्वयं केंद्र का निरीक्षण किया और कमरे को खतरनाक पाया। पीओ को लिखित में सूचना देने के बावजूद आगे कोई कदम नहीं उठाया गया।
“कमरे की हालत ऐसी है कि वह कभी भी गिर सकता है, फिर भी अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं।”
— सुबोध कुमार, ग्रामीण डीलर
क्या होगी अगली कार्रवाई?
अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन नींद से जागेगा या फिर किसी बड़े हादसे के बाद ही चेतना आएगी? बच्चों की जान के साथ इस तरह का खिलवाड़ कहीं व्यवस्थागत लापरवाही का उदाहरण बनकर न रह जाए।