अरावली बचाने को लेकर बुहाना में विरोध
पर्यावरण बचाओ भारत बचाओ दिवस के अवसर पर बुहाना तहसील कार्यालय के सामने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की ओर से जोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शन के दौरान अरावली बचाओ, हिमालय बचाओ, ग्रेट निकोबार बचाओ और हसदेव जंगल बचाओ जैसे नारे लगाए गए।
कार्पोरेट हितों के लिए प्रकृति की बलि का आरोप
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जल, जंगल, जमीन और पहाड़ों को अपने कार्पोरेट मित्रों के हवाले करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि:
- हिमालय में सुरंग व चारधाम परियोजनाओं से भारी तबाही
- छत्तीसगढ़ के हसदेव जंगल में लाखों पेड़ों की कटाई
- ग्रेट निकोबार के 130 किलोमीटर जंगलों का विनाश
अब इसी क्रम में अरावली पर्वतमाला पर भी खतरा मंडरा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई चिंता
वक्ताओं ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय की सिफारिश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 100 मीटर से कम ऊंचाई को पहाड़ न मानने के निर्णय से
- 90 प्रतिशत से अधिक अरावली क्षेत्र संरक्षण से बाहर हो जाएगा
- बड़े पैमाने पर खनन खुलेगा
- पश्चिमी हवाओं को रोकने वाली प्राकृतिक दीवार टूटेगी
- शेखावाटी सहित बड़ा इलाका रेगिस्तान में बदलने की आशंका है
पुनर्विचार नहीं हुआ तो आंदोलन तेज करने की चेतावनी
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि केंद्र सरकार को:
- सुप्रीम कोर्ट में पुनः याचिका दायर कर निर्णय बदलवाना चाहिए
- अरावली क्षेत्र में खनन पर पूर्ण रोक लगानी चाहिए
अन्यथा राजस्थान की जनता सड़कों पर उतरकर आंदोलन तेज करेगी।
ये रहे प्रदर्शन में शामिल प्रमुख नेता
प्रदर्शन में शामिल रहे:
- जिला सचिव कामरेड रामचंद्र कुलहरि
- पूर्व एरिया सचिव कामरेड हरी सिंह वेदी
- एरिया सचिव कामरेड मनफूल सिंह
- अखिल भारतीय किसान महासभा जिलाध्यक्ष कामरेड ओमप्रकाश झारोड़ा
- विधाधर सिंह गर्सा, जसवीर सिंह नेहरा, कमलकांत, शौकीन, श्रीवास कुलहरि सहित अनेक कार्यकर्ता