उदयपुरवाटी (कैलाश बबेरवाल) में अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर आज एक बड़ा जनआंदोलन देखने को मिलेगा। 22 दिसंबर 2025, सोमवार सुबह 10:30 बजे उपखंड अधिकारी (SDM) कार्यालय पर क्षेत्रभर से लोग एकत्र होकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे।
अरावली पर क्यों मंडराया संकट?
अरावली पर्वतमाला को उत्तर भारत का ‘रक्षा कवच’ और ‘लाइफलाइन’ माना जाता है, लेकिन हाल ही में 20 नवंबर 2025 को आए माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इसके अस्तित्व पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
अरावली चेतना संस्थान सेवा समिति के अनुसार—
- कोर्ट के फैसले में केवल 100 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली क्षेत्र माना गया है।
- इस परिभाषा से 90 से 95 प्रतिशत अरावली क्षेत्र संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएगा।
- इससे इस प्राचीन पर्वतमाला का अस्तित्व लगभग समाप्ति की कगार पर पहुंच सकता है।
मणकसास पंचायत बैठक में लिया गया निर्णय
मणकसास ग्राम पंचायत में आयोजित बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि केंद्र सरकार की रिपोर्ट के आधार पर आया यह फैसला अरावली के वजूद के लिए घातक है और इसका लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया जाएगा।
प्रदर्शन की रूपरेखा
अरावली चेतना संस्थान के नेतृत्व में आज निम्न कार्यक्रम आयोजित होंगे—
- SDM कार्यालय पर 15 मिनट का मौन, पर्यावरण के प्रति संवेदना और विरोध स्वरूप
- प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन, SDM साहिबा को सौंपा जाएगा
- सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका (Review Petition) दाखिल करने की मांग
- ‘अरावली बचाओ आपके द्वार’ और ‘जन जागृति आपके द्वार’ अभियानों को मजबूती से रखा जाएगा
क्या बोले आयोजक?
संस्थान की ओर से कहा गया—
“अरावली केवल पहाड़ नहीं, हमारी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य है। अगर आज हम चुप रहे, तो उत्तर भारत का पर्यावरण संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाएगा।”
आमजन से अपील
संस्थान ने पर्यावरण प्रेमियों, किसानों, युवाओं और आम नागरिकों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर इस आंदोलन को मजबूत बनाएं।
यह लड़ाई केवल पहाड़ों की नहीं, बल्कि जल, जंगल और जीवन को बचाने की निर्णायक लड़ाई है।