ग्रामीणों की तत्परता और पुलिस की त्वरित कार्रवाई से टली बड़ी अनहोनी
झुंझुनूं, जिले के गुढ़ा थाना क्षेत्र के कैंड गांव में बुधवार को एक बड़ी घटना टल गई, जब भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व उप प्रबंधक ने खुद पर पेट्रोल डालकर आत्मदाह की कोशिश की।
हालांकि, मौके पर मौजूद ग्रामीणों और बैंक ग्राहकों की समझदारी से कोई अनहोनी नहीं हुई। पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाल लिया।
ग्रामीणों की सतर्कता से बची जान
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पूर्व उप प्रबंधक पवन कुमार बैंक परिसर में कुछ कर्मचारियों से बहस के बाद बाहर आए और अपने पास रखे डिब्बे से पेट्रोल निकालकर खुद पर उड़ेल लिया।
उन्हें ऐसा करते देख ग्रामीण दौड़े और तुरंत पानी डालकर उन्हें शांत किया।
ग्रामीण संदीप ने बताया,
“वह बहुत परेशान लग रहे थे। अचानक पेट्रोल डाल लिया, लेकिन हमने तुरंत रोक लिया और पुलिस आने तक उन्हें बातों में उलझाए रखा।”
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही थानाधिकारी राममनोहर ठोलिया टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया,
“हमें सूचना मिली कि एक व्यक्ति आत्मदाह की कोशिश कर रहा है। तुरंत टीम रवाना की और व्यक्ति को शांत कर थाने लाया गया। मेडिकल जांच करवाई गई है, आगे जांच जारी है।”
प्राथमिक जांच में मामला कार्यस्थल विवाद और मानसिक तनाव से जुड़ा बताया जा रहा है।
तबादले के बाद बढ़ा तनाव
सूत्रों के मुताबिक, पवन कुमार का मई महीने में कैंड शाखा से भिवाड़ी तबादला हुआ था।
तबादले के बाद से ही वे मानसिक दबाव और निजी तनाव में बताए जा रहे थे।
परिजनों ने भी पुष्टि की कि वे हाल के दिनों में बेहद उदास और चिंतित रहने लगे थे।
बैंक में हुआ विवाद
बुधवार को वे किसी काम से बैंक पहुंचे थे, जहां सहकर्मियों से विवाद हो गया।
बहस बढ़ने पर वे बाहर निकल गए और आत्मदाह का प्रयास किया।
सौभाग्य से ग्रामीणों की तत्परता ने बड़ी घटना को होने से रोक दिया।
प्रशासन ने मांगी रिपोर्ट
घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने पुलिस और बैंक प्रबंधन से रिपोर्ट तलब की है।
फिलहाल पुलिस ने पवन कुमार की रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
थानाधिकारी का बयान
ठोलिया ने कहा,
“फिलहाल किसी तरह की आग लगने की घटना नहीं हुई है। व्यक्ति को सुरक्षित थाने लाया गया है। आगे की कार्रवाई जांच रिपोर्ट के बाद होगी।”
मानसिक स्वास्थ्य पर बढ़ती चिंता
यह घटना सरकारी व निजी कर्मचारियों में कामकाजी तनाव और तबादलों से उपजे मानसिक दबाव की ओर इशारा करती है।
स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि ऐसे मामलों में समय पर मनोवैज्ञानिक परामर्श और विभागीय सहायता उपलब्ध कराई जाए।