नई दिल्ली/झुंझुनूं, झुंझुनूं से सांसद बृजेंद्र सिंह ओला ने लोकसभा में महिला एवं बाल कल्याण योजनाओं की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।
ओला ने अतारांकित प्रश्न के ज़रिए राजस्थान राज्य में चल रही योजनाओं जैसे — बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, आंगनबाड़ी सेवाएं, पोषण अभियान और महिला सशक्तिकरण योजनाओं पर क्रियान्वयन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न लगाए।
“सिर्फ कागज़ों पर चल रही हैं योजनाएं?”
सांसद ओला ने कहा:
“जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का असर नगण्य है। बजट का पूरा उपयोग नहीं हो रहा और योजनाएं सिर्फ रिपोर्टिंग तक सीमित रह गई हैं।“
उन्होंने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के ताजा आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि योजनाओं के दावे और आंकड़ों में बड़ा अंतर है।
पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग
ओला ने केंद्र सरकार से इन योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और उत्तरदायित्व तय करने की माँग की। उन्होंने कहा:
“महिलाओं और बच्चों का सशक्तिकरण केवल नारों से नहीं, ठोस ज़मीनी काम से होगा।“
राजस्थान की चुनौतियाँ हैं विकराल
सांसद ने राजस्थान की सामाजिक चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि:
“जहाँ आज पोषण, शिक्षा और सुरक्षा जैसे मुद्दे विकराल होते जा रहे हैं, वहाँ प्रशासनिक इच्छाशक्ति और ईमानदार क्रियान्वयन की ज़रूरत है।“
राजनीतिक संकेत और क्षेत्रीय सरोकार
विशेषज्ञों के अनुसार, सांसद ओला का यह वक्तव्य राजस्थान में महिला व बाल योजनाओं को लेकर जनप्रतिनिधियों की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब राज्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की कमी, पोषण सामग्री की आपूर्ति में अनियमितता और योजनाओं के बजट उपयोग में गिरावट जैसे मुद्दे सुर्खियों में हैं।